केरल सरकार की स्वर्ण तस्करी !

कोरोना के प्रकोप के कारण देश की अनेक घटनाएं जिस पद्धति से समाज तक पहुंचनी चाहिए थीं, वे नहीं पहुंच सकीं । उन्हीं में एक है, केरल में साम्यवादी सरकार की स्वर्ण तस्करी ! इस घटना से साम्यवादी सरकार का वास्तविक रूप सामने आया है ।

‘दुष्‍ट की दुष्‍टता…!’

पिछले वर्ष महानगर देहली के विश्‍वविद्यालयों और विद्यार्थियों के माध्‍यम से देश में राष्‍ट्रविरोधी भावना भडकाने में चीन समर्थित भारत के तथाकथित साम्‍यवादी विचारक सफल रहे हैं ।

चीन के दूत !

‘वर्षा चीन में होने पर भी भारत के साम्यवादी यहां छाता तान देते हैं ।’ चीन के विरुद्ध कुछ होने पर भारत के साम्यवादी उसका विरोध करते हैं । इससे स्पष्ट होता है कि भारतीय साम्यवादियों की नाल चीन से जुडी है ।

मनुष्य की बर्बरता

‘हाथी मेरे साथी’ चलचित्र १९७० के दशक में बहुत चला था । परंतु, केरल में घटित हृदयद्रावक घटना के पश्‍चात ‘कौन मेरे साथी’ यह प्रश्‍न हाथियों के मन में आया होगा । केरल के मल्लपुरम् जनपद में एक भूखी गर्भवती हथिनी भोजन की खोज में वन से बाहर निकली ।

आत्मनिर्भर पंखों की ऊंची उडान !

कोरोना से उत्पन्न विकट आर्थिक संकटों का सामना करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत को आत्मनिर्भर बनाने का जो मार्ग चुना है, वह निश्‍चित ही प्रशंसनीय है ।

पालघर की अराजकता !

महाराष्ट्र को संतों की महान परंपरा प्राप्त है । संतों ने साधना कर अपना तथा समाज का उद्धार करने की शिक्षा दी है । इसलिए यहां आज भी संतों का मान-सम्मान किया जाता है; परंतु महाराष्ट्र की इस परंपरा पर १६ अप्रैल को निर्मम प्रहार हुआ ।