१५ अगस्त को देश के ७७ वें स्वतंत्रता दिवस के निमित्त प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदीजी द्वारा लाल किले से दिए भाषण में देश में परिवर्तन करने का देशवासियों को वचन दिया है । उन्होंने सशक्त, भ्रष्टाचार मुक्त एवं विकसित देश के निर्माण का वज्र संकल्प व्यक्त किया । मोदीजी ने कहा ‘‘वर्ष २०४७ तक ‘विकसित राष्ट्र’ के रूप में देश का परिचय निर्माण करना है तथा उसके लिए सत्यनिष्ठा, पारदर्शिता एवं निष्पक्षपात, इस त्रिसूत्री का अवलंबन आवश्यक है । भ्रष्टाचार, घरानाशाही एवं चापलूसी, इन ३ बुरी प्रवृत्तियों से देश का विकास अटक गया है । भ्रष्टाचार की दीमक ने देश की सर्व व्यवस्थाओं को खोखला कर दिया है । आपके अधिकार छीन लिए हैं । अब भ्रष्टाचार मुक्ति का नया स्वच्छता अभियान कार्यान्वित किया जा रहा है । मैंने भ्रष्टाचार नष्ट करने का वचन दिया है, उसके लिए मैं लडता रहूंगा ।’’
राजनीति का अध्यात्मीकरण आवश्यक !
नरेंद्र मोदीजी द्वारा देश के विकास के लिए उपरोक्त अनुसार किया संकल्प निश्चित ही उत्कृष्ट है; परंतु आज तक जिन देशों ने वैज्ञानिक एवं भौतिकता के आधार पर देश की उन्नति साध्य करने का प्रयत्न किया है, वे अधिकांश देश भ्रष्टाचार, घरानाशाही, वंशभेद, आदि विविध कारणों से देश का वास्तविक विकास साध्य नहीं कर पाए हैं । अनेक देशों में भ्रष्टाचार एवं अपराधों के विरुद्ध कठोर कानून होते हुए भी ये दोनों बातें नहीं घटी हैं । इसके विपरीत अपराध एवं भ्रष्टाचार की मात्रा में लक्षणीय वृद्धि हो रही है । विदेश में दिनदहाडे विद्यालय के बच्चों, मॉल के लोगों एवं अन्य स्थानों पर गोलीबारी एवं चाकू द्वारा आक्रमण कर लोगों एवं छोटे बच्चों की हत्या की जा रही है । इसलिए ऐसे कारणों की खोज करते समय समाज में राजनीति एवं समाजनीति बहुत मात्रा में हुई है । तथापि समाज एवं राजनीति का अध्यात्मीकरण न होने से समाज की वास्तविक रूप से उन्नति नहीं हुई है, अपितु समाज दिशाहीन बन गया है । भारत की उन्नति होने के लिए हिन्दू राष्ट्र की स्थापना होना आवश्यक है । अमेरिका, जापान, चीन, ऑस्ट्रेलिया, फ्रांस, सिंगापुर, रूस ऐसे अनेक देशों में विज्ञान ने भौतिक सुख उपलब्ध करवाए हैं; परंतु क्या खरी मानसिक शांति, आनंद एवं आनंदी समाज प्राप्त करवाया है ? कोई रोबोट (मानवी यंत्र) जिस प्रकार व्यवहार करता है, उसी प्रकार विज्ञान ने चल-दूरभाष, संगणक, दूरदर्शन (टीवी), वैज्ञानिक उपकरण, सामाजिक माध्यम आदि द्वारा मनुष्य का यांत्रिकीकरण किया है । आज समाज में लव जिहाद, लैंड जिहाद, धर्मांतरण, महिलाओं पर हो रहे अत्याचार, भ्रष्टाचार, संस्कृति का विनाश, देवताओं का अनादर, मंदिरों की तोडफोड, हिन्दुओं की हत्या आदि अनेक घटनाएं हो रही हैं । इसलिए विकृति समाप्त हुए बिना देश की वास्तविक रूप से प्रगति नहीं होगी । यह विकृति समाप्त करने के लिए समाज में धर्म एवं अध्यात्म का प्रसार करना होगा । समाज की प्रत्येक बात को अध्यात्म से जोडना के सत्संग, गुरुकुल शिक्षाप्रणाली निर्माण करने के उपरांत समाज के लोगों कीे सात्त्विकता बढेगी एवं अपनेआप ही भ्रष्टाचार तथा अपराध की मात्रा नष्ट हो सकती है । तथापि इस दृष्टि से आज के अधिकांश शासक विचार नहीं करते । केवल विज्ञान के आधार पर समाज की उन्नति का विचार करते हैं । इसलिए समाज रसातल में पहुंच गया है । भ्रष्टाचार, लव जिहाद, महिलाओं पर हो रहे अत्याचारों के विरुद्ध कठोर कानून ही न बनाने के कारण समाज का भ्रष्टाचार कभी भी समाप्त नहीं हुआ है, न ही महिलाओं पर हो रहे अत्याचार समाप्त हुए हैं । तो राष्ट्र का विकास कैसे होगा ?
हिन्दुओं के अस्तित्व का प्रश्न !
गत अनेक वर्षों से प्रभावशाली धर्मगुरु एवं हिन्दुत्वनिष्ठ संगठन दीर्घकाल से हिन्दू राष्ट्र की मांग कर रहे हैं; परंतु वर्तमान काल में विशेषतः नरेंद्र मोदीजी प्रधानमंत्री बनने पर यह मांग अधिक ही बढ गई है । पुरी के शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वतीजी ने भारत को हिन्दू राष्ट्र घोषित करने की मांग देहली के तालकटोरा इनडोर स्टेडियम में की थी । उन्होंने ऐसी आशा भी व्यक्त की थी कि भारत के स्वयं को हिन्दू राष्ट्र घोषित करने के उपरांत अन्य १५ देश भी स्वयं को हिन्दू राष्ट्र घोषित करेंगे । केंद्र में दूसरी बार मोदी सरकार की स्थापना के पश्चात कश्मीरी हिन्दुओं के पुनर्वसन की दृष्टि से अनुच्छेद ३७० निरस्त करना, नागरिकता सुधार कानून (‘सीएए’), सर्वोच्च न्यायालय द्वारा राममंदिर के पक्ष में दिया ऐतिहासिक निर्णय और अब राममंदिर का निर्माणकार्य आदि सकारात्मक बातें हो रही हैं । क्या ऐसा कह सकते हैं कि ‘सेक्युलर’ दलों की सत्ता जिन राज्यों में है, उनमें ‘सीएए’ कानून लागू न करने का निर्णय लेना एवं हिन्दूबहुल भारत में पीडित हिन्दुओं को न्याय न मिल सकना लोकतंत्र का पराभव है ? मणिपुर, हरियाणा, राजस्थान, महाराष्ट्र सहित अन्य राज्यों में धर्मांधों की बढी हुई उद्दंडता, दंगे, हिन्दू नेताओं की हत्या, हिन्दुओं पर बढते जा रहे अत्याचार, धर्मांतरण, लव जिहाद की घटनाएं रोकने के लिए नरेंद्र मोदीजी को ठोस प्रयत्न करना एवं कानून बनाना आवश्यक है । यह सत्ता में रहते हुए करना ही संभव है । वर्ष २०११ की जनगणना के अनुसार ऐसी स्थिति है कि ‘वर्ष २०६१ में भारत में हिन्दू अल्पसंख्यक हो जाएंगे । इस पृष्ठभूमि पर हिन्दुओं को उनके न्यायिक अधिकार प्राप्त करने के लिए भारत को ‘हिन्दू राष्ट्र’ घोषित करना आवश्यक है । नरेंद्र मोदीजी धार्मिक हैं । भारत के हिन्दुओं को उनसे अपेक्षित है कि वे सत्ता के माध्यम से संपूर्ण समाज को धार्मिक बनाएं । हिन्दू राष्ट्र की स्थापना के लिए पूर्ण शक्ति लगाने का यही उचित समय है । समाज के हिन्दुओं की स्थिति देखते हुए हिन्दुओं ने भारत को हिन्दू राष्ट्र बनाने के लिए त्याग नहीं किया, तो हिन्दुओं का अस्तित्व ही संकट में आ जाएगा । हिन्दू अल्पसंख्यक हो जाएंगे । नरेंद्र मोदीजी द्वारा भाषण में की हुई सब बातें प्रत्यक्ष कृति में, आचरण में लानी हों, तो उन्हें भारत में हिन्दू राष्ट्र की स्थापना करनी होगी तथा भारत को हिन्दू राष्ट्र घोषित करना आवश्यक है ।
भारत में हिन्दुओं को सुरक्षित एवं शांति से जीवन जीने के लिए हिन्दू राष्ट्र स्थापित होना आवश्यक ! |