Mayawati On Waqf : (और इनकी सुनिए…) ‘वक्फ संशोधन विधेयक पारित करने में केंद्र सरकार की शीघ्रता’ – मायावती
वक्फ संशोधन विधेयक पर जनता से सुझाव मांगे गए थे, साथ ही इसे संयुक्त संसदीय समिति को भी भेजा गया था, यह मायावती क्यों नहीं बतातीं ?
वक्फ संशोधन विधेयक पर जनता से सुझाव मांगे गए थे, साथ ही इसे संयुक्त संसदीय समिति को भी भेजा गया था, यह मायावती क्यों नहीं बतातीं ?
हर किसी को न्यायालय जाने का अधिकार है, परन्तु अगर न्यायालय का न्याय उनके विपरीत गया तो क्या मुसलमान इसे स्वीकार करेंगे?
केंद्र सरकार ने २ अप्रैल को वक्फ सुधार विधेयक लोकसभा में प्रस्तुत किया। दोपहर १२ बजे से लेकर देर रात तक इस पर सत्ताधारी और विपक्षी दलों के सदस्यों ने अपनी राय रखी।
धर्म के आधार पर आरक्षण का कोई भी प्रावधान संविधान में नहीं है, फिर भी बहुमत का दुरुपयोग कर संविधान को न मानने वाली कांग्रेस देश को कानून का राज कब देगी ?
वर्तमान विधेयक के अनुसार, वक्फ को भंग नहीं किया जाएगा; तथापि, भारत के परिप्रेक्ष्य में वक्फ को समाप्त करना आवश्यक है। इसके लिए सरकार को किसी के विरोध के आगे झुके बिना इच्छाशक्ति दिखाने की आवश्यकता है ।
जनता का यह पैसा हंगामा करने वाले प्रत्येक जनप्रतिनिधि से वसूला जाए, तभी उन्हें इसकी गंभीरता समझ में आएगी ! इसके पश्चात भी यदि वे हंगामा करते रहें, तो उनकी सांसद पद की सदस्यता निरस्त करने का कठोर निर्णय लेना अब आवश्यक हो गया है !
केंद्र सरकार ने लोकसभा को दी जानकारी
६२ बार देश का संविधान बदलने वाली कांग्रेस के मुख से ‘संविधान बचाओ’ की बात हास्यास्पद लगे, तो अनुचित नहीं होगा । कांग्रेस सरकारों ने अधिकतर संविधान संशोधन एक तो विरोधियों और आलोचकों को चुप कराने के लिए अथवा अनुचित नीतियां लागू करने के लिए किए थे ।
ध्यान दें कि लोकसभा में सर्वाधिक हिन्दू सांसद होने के उपरांत, केवल हेमा मालिनी ही व्यथा सूत्र सब के समक्ष रख रहीं हैं !
विरोधी पार्टी के नेता ने (राहुल गांधी ने) पोस्ट कर बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के प्रमुखों का अभिनंदन किया, लेकिन उसमें हिन्दुओं की सुरक्षा के विषय में कोई भी चर्चा अथवा उल्लेख नहीं था । वे गाजा के विषय में तेज आवाज में बोलते हैं; लेकिन हिन्दुओं के विषय में कुछ नहीं बोलते’