क्या गीतिका को न्‍याय मिलेगा ?

सबल प्रमाणों के अभाव में आरोपी का मुक्त होना, पुलिस तथा न्‍याय व्यवस्था की यह त्रुटि कब दूर होगी ?

(प्रतीकात्मक चित्र)

बहुचर्चित ‘विमान परिचारिका गीतिका शर्मा आत्‍महत्‍या प्रकरण’ में देहली के न्‍यायालय ने इस प्रकरण के मुख्‍य संदिग्ध आरोपी तथा हरियाणा कांग्रेस सरकार के तत्‍कालीन गृहराज्‍य मंत्री गोपाल कांडा एवं ‘एम.डी.एल.आर.’ विमान प्रतिष्ठान के व्‍यवस्‍थापक अरुण चढ्ढा को निर्दोष घोषित किया । ५ अगस्‍त २०१२ को गीतिका ने अपने देहली के निवास पर आत्‍महत्‍या की थी । इस आत्‍महत्‍या के पश्चात ६ माह के अंतर्गत गीतिका की मां ने भी आत्‍महत्‍या कर ली थी । आत्‍महत्‍या के पूर्व लिखे पत्र में गीतिका ने गोपाल कांडा को ही अपनी मृत्‍यु के कारण हैं, ऐसा स्‍पष्‍ट उल्लेख करते हुए उन पर अनेक गंभीर आरोप लगाए थे । गीतिका प्रकरण जैसे अनेक प्रकरणों में भी ‘प्रथमदृष्ट्या ठोस प्रमाण हैं’ ऐसा कहा जाता है, प्रथम संदिग्ध पकडे जाते हैं; किंतु जब निर्णय सामने आता है, तब गीतिका प्रकरण के जैसे ही अनेक संदिग्ध निर्दोष छूट जाते हैं । इसलिए ‘गीतिका प्रकरण में क्या न्‍यायालय के समक्ष पर्याप्त प्रमाण प्रस्तुत करने में पुलिस असफल रही ?’, ऐसा प्रश्न उत्‍पन्‍न हो रहा है । गोपाल कांडा यदि निर्दोष हैं, तो दोषी कौन ?

गीतिका की यात्रा !

सिरसा में गोपाल कांडा की रेडियो रिपेयरिंग (मरम्मती) की छोटी सी दुकान थी । तदनंतर विविध व्‍यवसाय करने के उपरांत वर्ष २००८ में गुडगांव में उन्होंने पिता के नाम पर ‘एम.डी.एल.आर.’ एयर प्रतिष्ठानन आरंभ किया । इस प्रतिष्ठान में युवतियों को अधिक मात्रा में भरती किया गया था । उसमें गीतिका का भी समावेश था । प्रथम साक्षात्कार में ही गीतिका को ‘केबिन क्रू’ में नियुक्ति पत्र दिया गया एवं केवल ६ माह में ही उसे विमान परिचारिका(एयर होस्टेस) बना दिया गया । तदनंतर गीतिका की प्रगति होती गई तथा ३ वर्षों में वह कांडा के प्रतिष्ठानपन में संचालक बन गई । तत्पश्चात यह आस्‍थापन छोडकर वह दुबई गई, वहां से वापस आने पर कुछ ही दिनों में उसने आत्‍महत्‍या कर ली । गीतिका की आत्‍महत्‍या के पश्चात गोपाल कांडा को बंदी बनाया गया एवं उन्हें १८ मास कारागृह में बिताने पडे थे ।

पत्र में अनेक गंभीर आरोप !

आत्‍महत्‍या के पूर्व लिखे पत्र में गीतिका ने लिखा था, ‘कांडा एवं अरुण चड्ढा, इन दोनों ने मेरे साथ विश्वासघात किया है । इन दोनों ने मेरा उपयोग किया तथा अब मेरे परिवार के पीछे पडे हैं । गोपाल कांडा सदैव झूठ बोलते हैं । युवतियों को वे सदा बुरी दृष्टि से देखते हैं तथा उनको सताते हैं’, उन पर ऐसे गंभीर आरोप लगाए थे; किंतु न्‍यायालय के निर्णय में ‘आत्‍महत्‍या करने के पूर्व लिखे पत्र में किसी का नाम लेना पर्याप्त न होकर केवल पत्र के आधार पर किसी को दोषी नहीं ठहराया जा सकता’, ऐसा लिखा है । इसलिए यदि गीतिका ने अपने पत्र में कांडा का सीधा उल्लेख किया है, तो यह कहना त्रुटिपूर्ण (गलत) नहीं होगा कि पुलिस इस बात का साक्ष्य जुटाने में असमर्थ रही, कि आत्‍महत्‍या के लिए कांडा ही उत्तरदायी हैं तथा इसी के कारण कांडा की मुक्ति हो सकी ।

जेसिका लाल हत्‍या प्रकरण !

बाएंसे मनु शर्मा और जेसिका लाल

इसी प्रकार एक अन्‍य प्रकरण में २९ अप्रैल १९९९ को देहली के एक मद्यालय में तत्‍कालीन केंद्रीय मंत्री के पुत्र मनु शर्मा ने जेसिका लाल नाम की ‘मॉडेल’ की हत्या की थी । इस हत्‍या के पश्चात पुलिस ने मनु शर्मा को पकडा था; किंतु न्‍यायालय ने पुलिस के प्रमाण को अमान्‍य बताकर मनु शर्मा को निर्दोष मुक्त कर दिया था । चूंकि मनु शर्मा केंद्रीय मंत्री का पुत्र था, इसलिए उसके प्रमाणों में हस्‍तक्षेप किया गया तथा ऐसे आरोप लगाए गए कि पुलिस ने अन्‍वेषण ही इस प्रकार से किया कि मनु शर्मा के निर्दोष छूटने में सहायता हो । तदनंतर नागरिक तथा माध्‍यमों ने यह प्रकरण उठाया । इसके लिए आंदोलन किए गए, साथ ही लोगाें के दबाव के कारण वरिष्ठ न्‍यायालय में इस पुन: अभियोग की सुनवाई हुई । हत्‍या के ७ वर्ष पश्चात इस पर निर्णय हुआ एवं वरिष्‍ठ न्‍यायालय ने मनु शर्मा को आजन्‍म कारावास का दंड सुनाया । इस प्रकरण की एक अन्य विशेषता यह है कि अच्छे आचरण के आधार पर वर्ष २०२० में मनु शर्मा को कारागृह से मुक्त कर दिया गया ।

मनु शर्मा ने गोली मारकर जेसिका की हत्‍या की, उस समय वहां १०० से अधिक लोगों के उपस्‍िथत होते हुए भी एक का भी साक्ष्य पर्याप्त नहीं माना गया । कुछ समय के पश्चात यह बात अनेक लोगों को चुभी तथा एक आंदोलन उभर कर आया । इसलिए जब आरंभ में निचली न्यायालय ने कहा कि कोई साक्ष्य नहीं है, तो वही प्रकरण जब ऊपरी न्यायालय में चला, तब पहले जो प्रमाण पहले सामने नहीं आए थे, वे कैसे सामने आ गए? अर्थात दूसरे शब्दों में यह कहना तर्कसंगत है कि पुलिस ने जांच ठीक से नहीं की ! इसलिए इस प्रकरण में भी ‘आंदोलन होने पर ही गीतिका को न्‍याय मिलेगा’, क्या ऐसा मान लिया जाए ?

गीतिका को न्‍याय काैन देगा ?

जब अनेक संवेदनशील प्रकरण होते हैं, तब न्‍याय पाने के लिए प्रतीक्षा करते रहने को कोई पर्याय नहीं होता। अनेक प्रकरणों में, चूंकि आरोपी शासक अथवा जन-प्रतिनिधि होते हैं, इसलिए वे सत्ता एवं धन का उपयोग करके प्रशासनिक तंत्र स्वयं के हाथ में लेकर अभियोगों के निर्णय अपनी इच्छानुसार करवा लेते हैं । गीतिका के अभियोग में भी निर्णय आने में ११ वर्ष लग गए, इतना होने पर भी गीतिका न्‍याय से वंचित ही रही !

ऐसे प्रसंग में अब ‘गीतिका को न्‍याय कौन देगा ?’, इससे ऐसा भी प्रश्न उपस्थित हो रहा है । यह भी दुर्भाग्यपूर्ण है कि कांडा को निर्दोष घोषित होने के पश्चात एक राजनीतिक दल ने उनसे मिलकर उन्हें पार्टी में सम्मिलित होने का निमंत्रण दिया । समाज में ऐसी अनेक गीतिकाएं होंगी, जो न्‍याय की प्रतीक्षा कर रही होंगी । इसलिए गीतिका हो अथवा जेसिका अथवा अन्‍य कोई भी, उन्हें तत्‍काल न्‍याय मिलने के लिए हिन्दू राष्‍ट्र ही चाहिए !