१० वर्ष से कम आयु की कन्याएं अपने पिता के साथ सबरीमाला मंदिर में दर्शन के लिए जा सकती हैं ! – केरल उच्च न्यायालय

१० से ५० वर्ष आयु की युवतियों एवं महिलाओं को मंदिर में प्रवेश की अनुमति नहीं है । न्यायालय द्वारा प्रतिबंध हटाए जाने के उपरांत  इस निर्णय को चुनौती दी गई है ।

राजस्थान के महिला आयोग में रिक्तियों की नियुक्ति के लिए न्यायालय ने राजस्थान सरकार को नोटिस जारी किया !

लश्कर-ए-हिंद के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री ईश्वर प्रसाद खंडेलवाल की याचिका का परिणाम !
महिला आयोग का लगभग ३ वर्षों से कोई अध्यक्ष ही नहीं है !

जहां अविवाहित युवतियां केवल मनोरंजन के लिए यौन संबंध रखती हैं, उस स्तर तक भारतीय समाज नहीं पहुंचा है  ! – मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय

भविष्य में ऐसी स्थिति उत्पन्न न हो ; इसलिए, शासकों को समाज को साधना सिखा कर उनमें संयम एवं नैतिकता निर्माण करनी चाहिए !

बलात्कार के प्रकरणों में आरोपियों को दी जानेवाली प्रतिभू (जमानत), न्यायाधीशों द्वारा पीडिताओं पर की गई अनुचित टिप्पणियां और सर्वोच्च न्यायालय का निर्णय !

उत्तर प्रदेश में २९ फरवरी २०२० को एक अवयस्क (नाबालिग) युवती पर बलात्कार करने के प्रकरण में वासनांध कामिल को बंदी बनाया गया । उस पर भा.दं.वि. की धारा ३७६ और ‘पॉक्सो’ कानून के अंतर्गत अपराध प्रविष्ट कर अभियोग चलाया गया ।

मद्रास उच्च न्यायालय ने मंदिरों में मुख्य पुजारियों की नियुक्ति का प्रकरण ‘यथावत’ रखने का आदेश दिया  !

ध्यान रखें, जब मंदिरों का सरकारीकरण हो जाता है, तब किसी को भी मंदिर का पुजारी एवं सेवक नियुक्त कर, सरकार हिन्दू परंपराओं का हनन करती है !

पाटलीपुत्र (बिहार) यहां का ४ मंजिला अवैध वक्फ भवन एक माह में गिराएं ! – पटना उच्च न्यायालय का आदेश 

५ न्यायाधीशों में से अहसानुद्दीन अमानुल्लांह इस न्यायाधीश का भवन गिराने के विरोध में मत !

पुलिस थानों में मानवाधिकारों के लिए सबसे बडा संकट !- मुख्य न्यायाधीश एन वी रमणा

पुलिस की ‘थर्ड डिग्री’ से कोई भी नहीं बच सकता !

‘लिव इन रिलेशनशिप’ में रहने वाली विवाहित महिला को सुरक्षा देने के लिए इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने नकारा

पति को छोड़कर दूसरे व्यक्ति के साथ ‘लिव इन रिलेशनशिप’ में रहने वाली विवाहित महिला को सुरक्षा देने के लिए इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने मना कर दिया ।

गुप्तचर विभाग और केंद्रीय जांच ब्यूरो, न्यायपालिका को सहायचा नहीं करते ! – उच्चतम न्यायालय की फटकार !

गुप्तचर विभाग और केंद्रीय जांच ब्यूरो (सी.बी.आई.) न्यायपालिका की बिल्कुल भी सहायता नहीं कर रहे हैं । न्यायाधीश शिकायत करते हैं, तब वे प्रतिसाद ही नहीं देते, ऐसा उच्चतम न्यायालय ने कहा ।