न्यायपालिका का भारतीयकरण होना चाहिए ! – मुख्य न्यायाधीश एन.वी. रमणा

अभी तक शासन करने वाले सर्वपक्षीय लोगों के लिए यह लज्जास्पद तथ्य है, कि स्वतंत्रता के ७४ वर्षों के उपरांत भी भारतीय न्यायपालिका का भारतीयकरण नहीं हुआ है !

जब गाय का कल्याण होगा, तभी जाकर देश का कल्याण होगा ! – इलाहाबाद उच्च न्यायालय

गाय की रक्षा करने का कार्य किसी एक धर्म अथवा पंथ का नहीं है, अपितु गाय भारतीय संस्कृति है । देश में रहनेवाले प्रत्येक नागरिक को, चाहे वह किसी भी धर्म का हो; उसे इस संस्कृति को बचाने का काम करना चाहिए ।

गाय को राष्ट्रीय पशु घोषित करने के उच्च न्यायालय के निर्णय का स्वागत ! – मौलाना खालिद रशीद फिरंगी महली

यदि ऐसा है, तो ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड संपूर्ण देश के लिए कानून बनाने की मांग क्यों नहीं करते ?

कोरोना प्रतिबंधक टीके फेंकने के प्रकरण में इलाहाबाद उच्च न्यायालय का गंभीर दृष्टिकोण !

प्रतिभू (जमानत) आवेदन का विरोध करते हुए उत्तर प्रदेश सरकार ने बताया कि २ विशेषज्ञ डॉक्टरों ने इस प्रकरण की जांच की है । इस जांच में पाया गया कि परिचारिका ने जानबूझकर कोरोना की बहुमूल्य २९ डोस फेंकी है ।

मंदिर, मस्जिद, चर्च और गुरूद्वारा के व्यवस्थापन के लिए एक समान कानून बनाए !

अन्य समय में ‘अल्पसंख्यकों को समान दर्जा दें’, ऐसी मांग करने वाले आधुनिकतावादी और धर्मनिरपेक्षतावादी ऐसा कानून बनाने की मांग क्यों नहीं करते ?

कोरोना के कारण मृत हुए लोगों के मृत्यु प्रमाणपत्र पर उल्लेख होगा !

भारत सरकार ने उच्चतम न्यायालय में प्रस्तुत किया प्रतिज्ञापत्र

पुरातत्व विभाग की ओर से ज्ञानवापी मस्जिद के होनेवाले सर्वेक्षण पर इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने रोक लगाई !

जिला न्यायालय की ओर से इस सर्वेक्षण का आदेश दिया गया था, जिसे मुसलमान पक्ष की ओर से उच्च न्यायालय में चुनौती दी गई थी ।

कन्नड भाषा के विषय में आपत्तिजनक जानकारी दिखाने पर गूगल की ओर से क्षमायाचना

जून माह में ‘कन्नड भाषा देश की सबसे गंदी भाषा है’, ऐसी जानकारी गूगल की ओर से प्रसारित की गई थी ।

रेल गाडी यदि विलंब से चल रही हो, तो यात्रियों को क्षतिपूर्ति दी जाए ! – सर्वोच्च न्यायालय

स्वतंत्रता के ७४ वर्षों में, सरकारी तंत्र एवं भारतीय जनता द्वारा समय का महत्व न समझना एवं उसपर आग्रही न होना ; यह भारत के पिछडेपन का एक कारण है, यह भारतीयों के लिए लज्जाजनक !

भले ही बडे विक्रेता स्वयं के पास मादक पदार्थ न रखते हो, उनके विरुद्ध की गई कार्यवाही उचित ही है ! – पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय

मादक पदार्थों के विक्रेता की गिरफ्तारी-पूर्व जमानत, आवेदन न्यायालय ने निरस्त की !