इंदौर (मध्य प्रदेश) में प.पू. भक्तराज महाराजजी का गुरुपूर्णिमा उत्सव भावपूर्ण एवं उत्साहपूर्ण वातावरण में संपन्न !

सनातन संस्था के श्रद्धास्रोत एवं सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत आठवलेजी के गुरु प.पू. भक्तराज महाराजजी का गुरुपूर्णिमा उत्सव २ एवं ३ जुलाई को यहां के भक्तवात्सल्य आश्रम के निकट स्थित नवनीत गार्डन में भावपूर्ण एवं उत्साहपूर्ण वातावरण में मनाया गया ।

विभिन्न संतों में विद्यमान प्रतीत अलौकिक तेज

बिना स्नान किए भी केवल मुख पर हाथ फेरते ही लाल-गुलाबी एवं तेजस्वी दिखाई देनेवाले प.पू. भक्तराज महाराज !

‘साधना में टिके रहना’ ही साधना की परीक्षा है !

‘साधना में टिके रहना ही साधका की परीक्षा है’, इसे गंभीरतापूर्वक समझकर साधकों को ऐसे विचारों पर विजय प्राप्त करना आवश्यक है । इस संदर्भ में निम्नांकित कुछ दृष्टिकोण उपयोगाी सिद्ध होंगे ।

‘भजन’, ‘भ्रमण’ एवं ‘भंडारा’, इन माध्यमों से दिन-रात कार्य करनेवाले प.पू. भक्तराज महाराजजी के स्थूल एवं सूक्ष्म कार्य की पू. नंदू भैया (हेमंत कसरेकरजी) द्वारा वर्णन की गई विशेषताएं !

सनातन संस्था के श्रद्धाकेंद्र प.पू. भक्तराज महाराजजी (प.पू. बाबा) के बडे सुपुत्र पू. नंदू भैया जून २०१५ में सनातन के रामनाथी आश्रम में पधारे थे ।

प.पू. भक्तराज महाराजजी की धर्मपत्नी वात्सल्यमूर्ति प.पू. जीजी (प.पू. [श्रीमती] सुशीला कसरेकरजी) का देहत्याग

सनातन संस्था के श्रद्धाकेंद्र प.पू. भक्तराज महाराजजी की (प.पू. बाबा की) धर्मपत्नी तथा पू. नंदू कसरेकरजी की माताजी प.पू. जीजी (प.पू. [श्रीमती] सुशीला कसरेकरजी) (आयु ८६ वर्ष) ने १८ सितंबर को दोपहर २ बजे नाशिक में उनके कनिष्ठ पुत्र श्री. रवींद्र कसरेकर के आवास पर देहत्याग किया ।

सनातन के कार्य को भर-भरकर आशीर्वाद देनेवालीं प.पू. भक्तराज महाराजजी की धर्मपत्नी प.पू. श्रीमती (स्व.) सुशीला दिनकर कसरेकरजी !

आयु के १७ वें वर्ष में विवाह होने के उपरांत उन्होंने जीवनभर प.पू. भक्तराज महाराजजी (प.पू. बाबा) जैसे उच्च कोटि के संत की गृहस्थी संभालने का कठिन शिवधनुष्य उठाया । प.पू. जीजी की साधना अत्यंत कठिन थी ।

प.पू. भक्तराज महाराजजी की पत्नी वात्सल्यमूर्ति प.पू. जीजी की देहत्याग (प.पू. (श्रीमती) सुशीला कासरेकर) !

सनातन संस्था के श्रद्धास्थान प.पू. भक्तराज महाराजजी की (प.पू. बाबा की) धर्मपत्नी एवं पू. नंदू कसरेकर की माताश्री प.पू. जीजी (प.पू. (श्रीमती) सुशीला कसरेकर) (वय ८६ वर्ष) ने १८ सितंबर को दोपहर २ बजे नासिक में अपने छोटे सुपुत्र श्री. रवींद्र कसरेकर के घर देहत्याग किया ।

सूक्ष्म से मिलनेवाले ज्ञान में अथवा नाडीपट्टिका में परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी का उल्लेख ‘संत’ न करते हुए ‘विष्णु का अंशावतार’ होने के विविध कारण !

अन्य संप्रदायों में उनके द्वारा बताई साधना करते समय उस साधक को कुछ न कुछ बंधन पालने पडते हैं; परंतु सनातन में साधना करते समय साधना के अतिरिक्त अन्य कोई भी बंधन नहीं बताए जाते ।

प.पू. भक्तराज महाराजजी का लीलासामर्थ्य और उनके शिष्य डॉ. जयंत आठवलेजी की त्रिकालदर्शिता !

‘भविष्य में प.पू. बाबा के भजनों का अर्थ कोई तो बताएगा’, यह परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी को वर्ष २०१३ में ही ज्ञात था’, यह उनकी त्रिकालदर्शिता ही है !