देहली, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, राजस्थान में गुरुपूर्णिमा महोत्सव !

हिन्दू जनजागृति समिति द्वारा देहली के कालका जी के श्री लक्ष्मीनारायण मंदिर (सनातन धर्म मंदिर), नोएडा (उत्तर प्रदेश) के सेक्टर ५६ के श्री लक्ष्मीनारायण मंदिर, फरीदाबाद (हरियाणा) की श्री सनातन धर्म मंदिर सभा एवं भीलवाडा (राजस्थान) की भारत विकास परिषद भवन में भावपूर्ण वातावरण में गुरुपूर्णिमा महोत्सव मनाया गया ।

सनातन का आगामी ग्रंथ

प्रस्तुत खण्ड में परात्पर गुरु डॉक्टरजी की अभ्यासवर्गाें में सिखाने की अलौकिक पद्धति, परात्पर गुरु डॉक्टरजी द्वारा अभ्यासवर्गाें में आनेवाले साधकों को चूकों का भान कराकर साधकों को साधना में आगे ले जाना इत्यादि के विषय में साधकों द्वारा कृतज्ञभाव से लिखकर दिए अनेक सूत्र समाविष्ट हैं ।

गुरुमहिमा !

किसी को सुंदर पत्नी, धन, पुत्र-पौत्र, घर एवं स्वजन आदि सर्व प्रारब्धानुसार सरलता से प्राप्त हुआ हो; परंतु यदि उनका मन गुरुदेवजी के श्री चरणों में रममाण (आसक्त) न हो, तो उसे ये सर्व प्रारब्ध-सुख मिलकर क्या लाभ होगा ?

गुरुपूर्णिमा महोत्सव २०२३ निमंत्रण

गुरुपूर्णिमा के दिन १००० गुना सक्रिय रहनेवाले गुरुतत्त्व का लाभ सभी को हो, इसलिए सनातन संस्था व हिन्दू जनजागृति समिति गुरुपूर्णिमा महोत्सव का आयोजन कर रहे हैं । इस महोत्सव में सम्मिलित होने हेतु गुरुपूर्णिमा स्थल का पता एवं संपर्क क्रमांक आगे देखें ।

अर्पणदाताओं, गुरुपूर्णिमा के उपलक्ष्य में धर्मकार्य हेतु धन अर्पित कर गुरुतत्त्व का लाभ उठाएं !

३ जुलाई २०२३ को गुरुपूर्णिमा है । गुरु के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने का यह दिवस शिष्य के लिए अत्यंत महत्त्वपूर्ण होता है । इस दिन गुरु का कृपाशीर्वाद तथा उनसे प्रक्षेपित शब्दातीत ज्ञान सामान्य की अपेक्षा सहस्र गुना कार्यरत होता है । अतः गुरुपूर्णिमा के उपलक्ष्य में गुरुसेवा एवं धन का त्याग करनेवाले व्यक्ति को गुरुतत्त्व का सहस्र गुना लाभ होता है ।

विभिन्न संतों में विद्यमान प्रतीत अलौकिक तेज

बिना स्नान किए भी केवल मुख पर हाथ फेरते ही लाल-गुलाबी एवं तेजस्वी दिखाई देनेवाले प.पू. भक्तराज महाराज !

विभिन्न क्षेत्रों के मान्यवरों से आध्यात्मिक धागे से जुडे सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. आठवलेजी !

सच्चिदानंद परब्रह्म गुरुदेवजी में ऐसा कुछ है कि एक बार उनके पास गया व्यक्ति उन्हीं का हो जाता है ! उसे पुनः-पुनः गुरुदेवजी से मिलने की इच्छा होती है । यह है सभी के प्रति गुरुदेवजी की निरपेक्ष प्रीति ! इसी निरपेक्ष प्रीति के कारण जिज्ञासु अथवा मान्यवर पहली भेंट में ही उनके साथ किस प्रकार जुड जाते हैं, इस उपलक्ष्य में यह देखेंगे !

साधकों को कला संबंधी ज्ञान सहित अध्यात्म के विविध पहलू सिखानेवाले एवं कला के माध्यम से साधकों की साधना करवा लेनेवाले एकमेवाद्वितीय सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत आठवलेजी !

‘गुरु-शिष्य’ के पदक (लॉकेट) संबंधी सेवा करते समय मैंने ३ रेखाचित्र बनाकर सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत आठवलेजी को दिखाए । तब उनके मार्गदर्शनानुसार कलाकृतियों में परिवर्तन करते समय मुझे सीखने के लिए मिले सूत्र यहां दिए हैं ।

श्रीविष्णुतत्त्व की अनुभूति देनेवाले कलियुग के दिव्य अवतारी रूप : सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत आठवलेजी !

श्रीविष्णुस्वरूप सच्चिदानंद परब्रह्म गुरुदेवजी का जन्मोत्सव तो साधकों के लिए ‘अमृत से भी मधुर’ अनुपम एवं दिव्य पर्व है । इस दिन साधकों के अंतर्मन में भावभक्ति की शीतल धारा प्रवाहित होकर उन्हें आत्मानंद एवं आत्मशांति की अनुभूति होती है । ऐसे इस दैवी पर्व के उपलक्ष्य में श्रीविष्णु स्वरूप गुरुदेवजी की महिमा हम अपने हृदयमंदिर में स्वर्णिम अक्षरों से अंकित कर लेंगे ।