प.पू. भक्तराज महाराजजी का लीलासामर्थ्य और उनके शिष्य डॉ. जयंत आठवलेजी की त्रिकालदर्शिता !
‘भविष्य में प.पू. बाबा के भजनों का अर्थ कोई तो बताएगा’, यह परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी को वर्ष २०१३ में ही ज्ञात था’, यह उनकी त्रिकालदर्शिता ही है !
‘भविष्य में प.पू. बाबा के भजनों का अर्थ कोई तो बताएगा’, यह परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी को वर्ष २०१३ में ही ज्ञात था’, यह उनकी त्रिकालदर्शिता ही है !
प्रत्येक साधक के जीवन में गुरु विविध माध्यम से आते हैं । सभी संत भले ही अलग-अलग दिखाई दें, तब भी वे अंदर से एक ही होते हैं । किससे कौनसी साधना करवानी है, यह उन्हें पता होता है ।
सनातन संस्था के श्रद्धाकेंद्र प.पू. भक्तराज महाराजजी के कांदळी के समाधिस्थल पर २३ जुलाई को कोरोना के सर्व नियमों का पालन कर गुरुपूर्णिमा महोत्सव भावपूर्ण वातावरण में मनाया गया ।
कुलार्णवतन्त्र, उल्लास १४, श्लोक ३७ के अनुसार मादा कछुआ केवल मन में चिंतन कर भूमि के नीचे रखें अंडों को उष्मा देती है, बच्चों को बडा करती है और उनका पोषण करती है, उसी प्रकार गुरु केवल संकल्प द्वारा शिष्य की शक्ति जागृत करते हैं तथा उसमें शक्ति का संचार करते हैं ।
इंदौर (मध्य प्रदेश) के भक्तवात्सल्य आश्रम में ७ जुलाई को सनातन संस्था के श्रद्धाकेंद्र प.पू. भक्तराज महाराजजी (प.पू. बाबा) का जन्मोत्सव भावपूर्ण वातावरण में संपन्न हुआ ।