त्याग एवं निरपेक्षता जैसे विशिष्ट गुणों के कारण सनातन के ११७ वें संतपद पर विराजमान फोंडा (गोवा) की पू. (श्रीमती) सुधा सिंगबाळजी (आयु ८२ वर्ष) !

मूलत: सावईवेरे, गोवा की श्रीमती सुधा उमाकांत सिंगबाळजी सनातन के संत पू. नीलेश सिंगबाळजी की माताश्री और श्रीसत्शक्ति (श्रीमती) बिंदा नीलेश सिंगबाळजी की सास हैं । श्रीमती सुधा सिंगबाळजी पहले से ही धार्मिक एवं आतिथ्यशील वृत्ति की हैं ।

देहली के साधक दंपति श्री. संजीव कुमार (आयु ७० वर्ष) एवं श्रीमती माला कुमार (आयु ६७ वर्ष) सनातन के ११५ वें और ११६ वें समष्टि संतपद पर विराजमान !

इस दंपति ने एकत्रित रूप से साधना का आरंभ किया । वर्ष २०१७ में एक ही दिन इन दोनों का आध्यात्मिक स्तर ६१ प्रतिशत हुआ और आज के इस मंगल दिवस पर इन दोनों ने ७१ प्रतिशत आध्यात्मिक स्तर प्राप्त कर एक ही दिन संतपद भी प्राप्त कर लिया है ।

जयपुर, राजस्थान के धर्माभिमानी और शिवभक्त श्री. वीरेंद्र सोनी (आयु ८६ वर्ष) संतपद पर विराजमान !

ऐसी हुई संतपद प्राप्ति की घोषणा !      ३० नवंबर २०२१ को श्रीचित्शक्ति (श्रीमती) अंजली मुकुल गाडगीळजी ने जयपुर यात्रा के समय श्री. वारिद सोनी (‘वारिद’ का अर्थ दक्ष) को संदेश दिया कि वे उनके परिजनों से मिलेंगी । दोपहर १२ बजे ‘उच्च कोटि के संत घर आएंगे’, इस विचार से सोनी परिवार ने … Read more

बुद्धि, उसकी निर्भरता एवं उत्पत्ति की सीमा

सर्वाेत्तम शिक्षा क्या है ? पू. डॉ. शिवकुमार ओझाजी (आयु ८७ वर्ष) ‘आइआइटी, मुंबई’ में एयरोस्पेस इंजीनियरिंग में पीएचडी प्राप्त प्राध्यापक के रूप में कार्यरत थे। उन्होंने भारतीय संस्कृति, अध्यात्म, संस्कृत भाषा इत्यादि विषयों पर ११ ग्रंथ प्रकाशित किए हैं । उसमें से ‘सर्वाेत्तम शिक्षा क्या है ?’ नामक हिंदी ग्रंथ का विषय यहां प्रकाशित … Read more

भोलापन, प्रीति और उत्कट राष्ट्र तथा धर्म प्रेम से युक्त फोंडा, गोवा के सनातन के संत पू. लक्ष्मणजी गोरेजी के सम्मान समारोह के प्रमुख सूत्र

६ दिसंबर २०२१ के दिन भोलापन, प्रीति और उत्कट राष्ट्र तथा धर्म प्रेम से युक्त फोंडा, गोवा के सनातन के ८० वर्षीय साधक श्री. लक्ष्मण गोरे सनातन के ११४ वें व्यष्टि संतपद पर विराजमान हुए । श्रीसत्शक्ति (श्रीमती) बिंदा सिंगबाळजी ने पू. गोरेजी के संतत्व के विषय में परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी का संदेश पढकर सुनाया ।

परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी का साधना के विषय में मार्गदर्शन !

अधिकांश पुरुष कार्य के निमित्त रज-तमप्रधान समाज में रहते हैं । इसका उनपर परिणाम होने से वे भी रज-तमयुक्त होते हैं । इसके विपरीत, अधिकांश स्त्रियां घर में रहती हैं । उनका समाज के रज-तम से संपर्क नहीं होता । इसलिए वे साधना में शीघ्र प्रगति करती हैं ।

समर्पित जीवन जीनेवाली और परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी के प्रति उत्कट भाव से युक्त बेळगांव की श्रीमती विजया दीक्षित बनीं सनातन की ११३ वीं व्यष्टि संत !

श्रीसत्शक्ति (श्रीमती) बिंदा नीलेश सिंगबाळजी ने पू. दीक्षितजी को पुष्पहार पहनाकर और भेंटवस्तु देकर उनका सम्मान किया, साथ ही जन्मदिन के निमित्त उनकी आरती भी उतारी ।

लगन से सेवा कर श्री गुरु का मन जीतनेवाली कु. दीपाली मतकर (आयु ३३ वर्ष) सनातन के ११२ वें समष्टि संतपद पर विराजमान !

समष्टि साधना की तीव्र लगन, साधकों की आध्यात्मिक प्रगति की लगन रख निरंतर साधना में उनकी मां समान सहायता करना एवं श्रीकृष्ण के प्रति गोपीभाव आदि गुण कु. दीपाली मतकर में हैं ।

सहनशील, सेवा की लगन एवं सनातन संस्था के प्रति श्रद्धाभाव रखनेवाले ६१ प्रतिशत आध्यात्मिक स्तर प्राप्त जोधपुर (राजस्थान) निवासी दिवंगत बंकटलाल मोदी (वय ७५ वर्ष) !

‘पति का नामजप और त्याग होना, बीमारीरूपी प्रारब्ध सहन करने की शक्ति मिलना और अंततः सहजता से प्राण छोडना’, यह सबकुछ गुरुकृपा से ही संभव हुआ ।

पुणे की श्रीमती उषा कुलकर्णी (आयु ७९ वर्ष) सनातन की ११० वीं तथा श्री. गजानन साठे (आयु ७८ वर्ष) १११ वें संत घोषित !

वृद्ध होते हुए भी अकेले ही रोग में सभी स्थिति संभालनेवाली, जिनका अखंड भाव रहता है कि ‘गुरुदेव साथ में हैं’ एवं स्थिरता जिनका स्थायीभाव है, ऐसी श्रीमती उषा कुलकर्णीजी को सनातन की ११० वीं व्यष्टि संत घोषित किया गया ।