साधको, ‘निरंतर नकारात्मक विचार करने से और उस विषय पर अन्यों से बार-बार चर्चा करने से मन पर नकारात्मकता का संस्कार होता है’, यह ध्यान में रखकर योग्य मार्गदर्शन तथा स्वसूचना लें !

स्वयं की समस्या के बारे में विचार करने से तथा उसके बारे में निरंतर अन्यों को बताना, मन को नकारात्मक स्वसूचना देने समान होता है । परिणामस्वरूप मन के नकारात्मक विचारों का पोषण होता है और मन की अस्थिरता बढती है तथा कार्यक्षमता भी घटती है ।

साधना करने के कारण दिव्य कार्य होने से स्वयं के साथ समाज को भी साधना के लिए प्रवृत्त करना आवश्यक ! – सद्गुरु डॉ. चारुदत्त पिंगळेजी, राष्ट्रीय मार्गदर्शक, हिन्दू जनजागृति समिति

सनातन संस्था प्रभावशाली पद्धति से अध्यात्मप्रसार का कार्य कर रही है, साथ ही एस.एस.आर.एफ. द्वारा किया जा रहा शोधनिबंध तैयार करने का कार्य देखकर ऐसा लगता है कि समाज निश्चित रूप से धर्माचरण करने के लिए प्रेरित होगा ।

तनावमुक्ति के लिए बाह्य साधना के साथ-साथ आंतरिक साधना करना आवश्यक ! – सद्गुरु डॉ. चारुदत्त पिंगळेजी, राष्ट्रीय मार्गदर्शक, हिन्दू जनजागृति समिति

उधम सिंहनगर के रुद्रपुर स्थित उत्तराखंड पुलिस की ४६ वीं बटालियन के अधिकारी एवं कर्मचारियों के लिए ‘सुखी जीवन हेतु तनावमुक्ति’ विषय पर एक कार्यशाला का आयोजन किया गया था । इस कार्यशाला को संबोधित करते समय सद्गुरु डॉ. पिंगळेजी बोल रहे थे ।

श्री विठ्ठल के प्रति भोला भाव रखनेवाले ईश्वरपुर (सांगली) के श्री. राजाराम भाऊ नरुटे संतपद पर विराजमान !

सनातन की श्रीसत्शक्ति (श्रीमती) बिंदा सिंगबाळजी ने आनंदित, हंसमुख और अपने भोले भाव से श्री विठ्ठलभक्ति में रमनेवाले ईश्वरपुर (इस्लामपुर, सांगली) के श्री. राजाराम भाऊ नरुटे (आयु ८९ वर्ष) के संत पद पर विराजमान होने की घोषणा की ।

परेच्छा एवं साधना के प्रति लगन होनेवाली ओडिशा की सुश्री (कु.) सुनीता छत्तर ६१ प्रतिशत आध्यात्मिक स्तर प्राप्त कर जन्म-मृत्यु के चक्र से मुक्त !

मनोगत व्यक्त करते हुए सुश्री सुनीता छत्तर ने कहा कि वह बचपन से ही भगवान शिव की उपासना करती थीं । साधना आरंभ करने पर उन्होंने शिवजी से प्रार्थना की, ‘अब मैं आपकी ही हो गई हूं न ! इसलिए आप ही मुझे अपनी पूर्णकालिक सेवा करने के लिए सेवाकेंद्र में लेकर आइए ।’

परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी के ओजस्वी विचार

     ‘मंदिर में देवताओं के कर्मचारी दर्शनार्थियों को दर्शन कराने की अपेक्षा अन्य कुछ करते हैं क्या ? उन्होंने दर्शनार्थियों को धर्मशिक्षा दी होती, साधना सिखाई होती, तो हिन्दुओं की एवं भारत की ऐसी दयनीय स्थिति नहीं होती ।’ सनातन के आश्रम में कौन रह सकता है ?      ‘सनातन का आश्रम देखने … Read more

शारीरिक, मानसिक एवं आध्यात्मिक स्तर पर सात्त्विक आहार का महत्त्व !

सत्त्वगुण की वृद्धि करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभानेवाला सात्त्विक आहार !      ‘शरीरमाद्यं खलु धर्मसाधनम् ।’, अर्थात साधना करने के लिए शरीर ही खरा महत्त्वपूर्ण माध्यम है; क्योंकि मनुष्यजन्म के अंतिम लक्ष्य ईश्वरप्राप्ति को साध्य करने हेतु मनुष्य को देह की अत्यंत आवश्यकता होती है । शरीर स्वस्थ रहने के लिए आहार अच्छा और … Read more

महर्षि अध्यात्म विश्वविद्यालय के नृत्य विभाग में सीखनेवाली कु. वेदिका मोदी द्वारा प्रस्तुत भरतनाट्यम् का कु. मधुरा भोसले द्वारा किया गया सूक्ष्म परीक्षण !

महर्षि अध्यात्म विश्वविद्यालय के नृत्य विभाग में सीखनेवाली ५७ प्रतिशत आध्यात्मिक स्तर प्राप्त कु. वेदिका मोदी (आयु १४ वर्ष) द्वारा प्रस्तुत भरतनाट्यम् का कु. मधुरा भोसले द्वारा किया गया सूक्ष्म परीक्षण ! नृत्यसाधना के विषय में अद्वितीय शोधकार्य करनेवाला महर्षि अध्यात्म विश्वविद्यालय      ‘६.२.२०२२ को महर्षि अध्यात्म विश्वविद्यालय की नृत्य विभाग में सीखनेवाली जोधपुर … Read more

हिन्दू जनजागृति समिति द्वारा मथुरा में एस.के.एस. आयुर्वेद महाविद्यालय में कार्यक्रम संपन्न !

     मथुरा (उत्तर प्रदेश) – यहां के चोमा एस.के.एस. आयुर्वेद महाविद्यालय में ‘‘आयुर्वेद से पूर्णत: बिमारी नष्ट होती है; परंतु इसमें विद्यमान वेदरूपी आध्यात्मिक प्रकाश हमारे अंतर्मन के जन्म-जन्म के संस्कार नष्ट होने से ही प्रकट होता है । इसलिए साधना करना आवश्यक है’’, ऐसा प्रतिपादन समिति के राष्ट्रीय मार्गदर्शक सद्गुरु डॉ. चारुदत्त पिंगळेजी … Read more

परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी के ओजस्वी विचार

भ्रष्टाचार, बलात्कार, राष्ट्रद्रोह, धर्मद्रोह बढने का मूल कारण है, समाज को सात्त्विक बनानेवाली साधना न सिखाना । जिन्हें यह भी नहीं समझ में आता, ऐसे सर्व दल राज्य करने के योग्य हैं क्या ? केवल हिन्दू (ईश्वरीय) राष्ट्र में ही रामराज्य की अनुभूति होगी ।