सनातन संस्था द्वारा आयोजित साधनावृद्धि सत्संग के जिज्ञासुओं के लिए ऑनलाइन सत्संग समारोह संपन्न !
वाराणसी (उ.प्र.) – समष्टि साधना करनेवालों को स्वयं ईश्वर सहायता के लिए आते हैं । कालानुसार साधना के अनुसार समष्टि साधना अत्यंत महत्वपूर्ण है । इसके माध्यम से हम ईश्वर के विभिन्न प्रकार के गुणों से एक रूप हो जाते हैं, हमारे मन और बुद्धि का त्याग होता है और जीव जन्म और मृत्यु के चक्र से मुक्त हो जाते हैं । समष्टि सेवा के लिए भी समय निश्चित करना और व्यक्तिगत सेवा के लिए भी समय निश्चित करना चाहिए । इससे हम पर अखंड गुरु कृपा बनी रहती है और हमारी आध्यात्मिक उन्नति भी शीघ्र हो जाती है । ऐसा मार्गदर्शन पूजनीय नीलेश सिंगबाळ जी ने ऑनलाइन कार्यक्रम में जुडे हुए जिज्ञासुओं को किया । श्रीमती मेघा पटेसरिया ने सूत्रसंचालन किया । इस समारोह में उत्तर प्रदेश, झारखंड, बिहार, बंगाल, असम इत्यादि राज्यों से ११५ से भी अधिक जिज्ञासु जुडे थे । इसके उपरांत सनातन संस्था के संस्थापक परम पूज्य डॉ. जयंत बाळाजी आठवलेजी का अध्यात्म से संबंधित शंकाओं का समाधान किया हुआ चलचित्र दिखाया गया था । विभिन्न क्षेत्रों से सम्मिलित १० जिज्ञासुओं ने अपनी विशेष अनुभूतियां बताईं, जिनका आध्यात्मिक विश्लेषण पूजनीय नीलेश सिंगबाळजी ने किया । इन अनुभूतियों से सभी को बहुत सीखने के लिए मिला और साधना हेतु प्रेरणा मिली ।
जीवन में उत्पन्न षड्रिपुओं को दूर कर आनंदप्राप्ति हेतु स्वभावदोष-निर्मूलन प्रक्रिया करें – पूजनीय नीलेश सिंगबाळजी
वाराणसी (उ.प्र.) – ‘‘हम विज्ञान में इतनी प्रगति कर चुके हैं; परंतु छोटा सा कठिन प्रसंग हमारे जीवन में आने से हम निराश होकर हार मान लेते हैं । लाक्षागृह, चीरहरण, १४ वर्ष का वनवास, अज्ञातवास, इन सभी प्रसंगों से ध्यान में आता है कि जीवन में साधना और ईश्वर के प्रति अखंड विश्वास के बल पर हमारा रक्षण कैसे हो सकता है । इसलिए हमें निश्चिंत रहकर अपनी साधना जारी रखनी चाहिए कि धर्म के मार्ग पर चलते समय ईश्वर हमारा रक्षण करेंगे ही ।
सनातन संस्था द्वारा सिखाई जानेवाली स्वभावदोष निर्मूलन की प्रक्रिया आर्थिक लाभ की दृष्टि से चलाए जा रहे व्यक्तित्व विकास वर्ग की तुलना में उन्नत तथा श्रेयस्कर है । षड्रिपुओं को दूर कर हम जीवन के वास्तविक उद्देश्य को समझकर, पहचानकर आनंदप्राप्ति कर सकते हैं ।’’ ऐसा मार्गदर्शन पूजनीय नीलेश सिंगबाळजी ने ऑनलाइन कार्यक्रम में जुडे हुए जिज्ञासुओं को किया । ये जिज्ञासु गत ४-५ माह से ऑनलाइन चल रहे साधना सत्संग का लाभ ले रहे है । अंत में कुछ जिज्ञासुओं की शंकाओं का समाधान किया गया । सनातन संस्था की श्रीमती प्राची जुवेकर द्वारा सनातन संस्था के संस्थापक परात्पर गुरु डॉ. जयंत बाळाजी आठवलेजी के विषय में तथा सनातन संस्था एवं हिन्दू जनजागृति समिति के कार्यों तथा विभिन्न उपक्रमों के विषय में उपस्थितों को बताया । इस समारोह में उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, बंगाल, महाराष्ट्र से १०० से भी अधिक जिज्ञासु जुडे थे ।
त्योहार, उत्सव, मंदिर और परंपरा जीवित रखने के लिए हिन्दू राष्ट्र अपरिहार्य ! – रमेश शिंदे, राष्ट्रीय प्रवक्ता, हिन्दू जनजागृति समिति‘इस्लाम बढता है, तब जिहाद भी बढता है । हिन्दुस्तान से पाक और बांग्लादेश निर्माण हुए । वर्ष १९९० में कश्मीर में इस्लाम बढा, तब एक रात में हिन्दू निष्कासित हुए । हाल ही में तालिबान ने अफगानिस्तान में सत्ता हथियाई, तब लोग विमान में लटककर वहां से पलायन कर रहे थे । यदि हम चाहते है कि हमारी यह स्थिति न हो, तो हिन्दू राष्ट्र की मांग करनी होगी । हमारे त्योहार, उत्सव, मंदिर और परंपराओं को जीवित रखने के लिए हिन्दू राष्ट्र अपरिहार्य है ।’ |