उत्तरप्रदेश और असम सीमा के निकट मुसलमानों की जनसंख्या में ३२ प्रतिशत बढोतरी !

बढोतरी में घुसपैठिये भी सम्मिलित!

सीमा सुरक्षा दल का क्षेत्र १०० कि.मी. तक विस्तारित करने की मांग !

मुजफ्फरनगर (उत्तर प्रदेश) में अवयस्क हिन्दू लड़की का धर्मांधों ने किया विनयभंग !

उत्तर प्रदेश में सामने आई ‘लव जिहाद’ की एक और घटना !

कर्नाटक के प्रवीण नेट्टारू की हत्या प्रकरण में और दो लोगों को बंदी बनाया !

बंदी बनाए गए शफिक के पिता इब्राहिम ने कहा, ‘‘ मेरे बेटे को क्यों बंदी बनाया गया है ?, यह मुझे नहीं पता । हम मुसलमान हैं; इसलिए हमें लक्ष्य किया जा रहा है ।’’

झारखंड में धर्मांधों ने ५ सरकारी विद्यालयों को बंद करने पर किया बाध्य !

इससे यह ध्यान में आता है कि धर्मांध अब कानून, सरकार आदि किसी को भी महत्त्व नहीं देते ! ऐसों पर सरकार क्या कार्रवाई करेगी ?

‘भजन गाना शरीयत के विरुद्ध !’

‘यू-ट्यूब’ की गायिका फरमानी नाज ने कावड यात्रा के लिए भगवान शिव का ‘हर हर शंभू’ यह भजन गाने से देवबंद के उलेमा ने आलोचना करते हुए कहा कि यह शरीयत के विरुद्ध है ।

नरेल (बांगलादेश) में हुए आक्रमण में सत्ताधारी अवामी लीक पक्ष के नेताओं का हाथ

बांगलादेश के सत्ताधारी पक्ष अवामी लीग के नेता ही हिन्दुओं पर आक्रमण करते हैं । नरेंद्र मोदी को बांगलादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना पर दबाव बनाकर वहां के हिन्दुओं को सुरक्षा उपलब्ध करने के लिए प्रयत्न करने चाहिए, यही राष्ट्रनिष्ठ हिन्दुओं की अपेक्षा है !

ज्ञानवापी परिवाद में मुसलमानों के पक्ष में लडनेवाले अधिवक्ता अभयनाथ यादव की मृत्यु

ज्ञानवापी घटना में राखी सिंह की याचिका पर दिवानी न्यायालय में चल रही सुनवाई में अधिवक्ता अभयनाथ यादव मुसलमानों का पक्ष प्रस्तुत कर रहे थे । आयोग का कृति ब्यौरा स्पष्ट होने के पश्चात उन्होंने आपत्ति व्यक्त की थी ।

पी.एफ्.आई. के ३ लाख बैंक खातों में इस्लामी देशों से आते हैं प्रति वर्ष ५०० करोड रुपये !

एक इस्लामी संगठन को इतना धन मिलता है, तो अन्य इस्लामी संगठन, मदरसे, मस्जिदों आदि को कितना धन मिलता होगा, यह कल्पना के परे है !

धर्मांध ‘पी.एफ.आई.’ का पिछडे वर्ग को साथ लेकर इस्लामी राष्ट्र बनाने का षड्यंत्र !

‘पी.एफ.आई. के द्वारा देशविघातक गतिविधियां चलाए जाने के असंख्य प्रमाण सामने आते हुए भी सरकार उस पर प्रतिबंध क्यों नहीं लगाती ?’, यह प्रश्न राष्ट्रप्रेमियों के मन में है !

सावधान ! २०४७ में ‘दार-उल-इस्लाम’ !

हिन्दुत्वनिष्ठों द्वारा ‘हम संवैधानिक पद्धति से हिन्दू राष्ट्र की स्थापना करेंगे’, यह घोषणा दिए जाने पर आक्रोश कर चिल्लानेवाले धर्मनिरपेक्षतावादी अब कहां हैं ? अथवा क्या उन्हें इस्लामी राष्ट्र चलेगा ? यह प्रवृत्ति तो पाखंडी धर्मनिरपेक्षता और हिन्दूविघातक दोहरी नीति का उदाहरण है !