ऋषि पंचमी (भाद्रपद शुक्ल ५ [२०.९.२०२३])
जिन ऋषियों ने अपने तपोबल से विश्व-मानव पर अनंत उपकार किए हैं, मनुष्य के जीवन को उचित दिशा दी है, उन ऋषियों का इस दिन स्मरण किया जाता है ।
जिन ऋषियों ने अपने तपोबल से विश्व-मानव पर अनंत उपकार किए हैं, मनुष्य के जीवन को उचित दिशा दी है, उन ऋषियों का इस दिन स्मरण किया जाता है ।
इसी बघनखा द्वारा छत्रपति शिवाजी महाराज ने उनसे धोखा करने वाले अफजलखान की आंतें बाहर निकाली थीं ।
‘खुदाई में श्री हनुमान की दो से ढाई फीट की मूर्ति मिली’, ऐसा इन संतों ने बताया । खुदाई के समय मूर्ति दिखने लगी ।
हिन्दुओं के संगठित विरोध का परिणाम !
भाग्यनगर में (हैद्राबाद) एक शास्त्रज्ञ ने खोज की, केले के पेड के तने अथवा केले के पेड मे लगे केलोंके गुच्छे के सिरे पर कमल के आकार का सिरा, पत्तों में जो चिपचिपा द्रव्य पदार्थ होता है, उसे खाने के उपरांत कर्करोग (कैंसर) बढानेवाली ग्रंथी धीरे-धीरे निष्क्रीय होती जाती है । इसलिए पुराने काल के … Read more
भारत विश्व को ज्ञान, शुद्धता, समृद्धि एवं समर्पण सिखाने में सक्षम है । हम सूर्य की पूजा करते हैं, इसलिए हमारे देश को ‘भारत’ के नाम से संबोधित किया जाता है ।
विदेशी संस्कृति आधुनिक है और हमारी संस्कृति पिछडी है, यह न्यूनता का भाव अब छोड दे; क्योंकि आज पश्चिमी देश हमारे संस्कृति की वैज्ञानिकता के कारण हमारी और आकर्षित हो रहे हैं’’, ऐसा प्रतिपादन हिन्दू जनजागृति समिति के मध्य प्रदेश एवं राजस्थान समन्वयक श्री. आनंद जाखोटिया ने किया ।
आध्यात्मिक साधना करने से आत्मविश्वास जागृत होता है तथा व्यक्ति तनावमुक्त जीवन जी सकता है । वह साधना कर अपने कृत्य के फल के कार्य की अपेक्षा किए बिना कार्य कर सकता है तथा प्रत्येक कृत्य से आनंद प्राप्त करता है ।
हमारे अभिभावकों ने अपने बच्चों को गाय को चारा देना सिखाया होता, तो हिन्दू युवतियां गाय को काटनेवालों के साथ भाग नहीं जातीं । हिन्दुओं ने अपने बच्चों को अपनी संस्कृति सिखाई होती, तो लव जिहाद की घटनाएं नहीं होतीं । ऐसा प्रतिपादन उन्होने किया
हमने वनवासियों से ३० सहस्र पोथियां एकत्र कीं और उन सभी को ओडिशा राज्य के संग्रहालय में भिजवा दिया । इन पोथियों में श्लोक इत्यादि नहीं थे, अपितु विमानों की निर्मिति कैसे करें ?, मंदिरों के निर्माण कार्य कैसे करें ? आदि प्रत्येक विषय पर विवरण दिया गया था ।