प्राचीन भारतीय मंदिरों की अलौकिक धरोहर !
सौर किरणें मूर्ति पर पडें; इसके लिए मंदिर सदैव पूर्व-पश्चिम दिशा में होते हैं; क्योंकि सूर्यप्रकाश में अधिक मात्रा में पवित्रक होते हैं ।
सौर किरणें मूर्ति पर पडें; इसके लिए मंदिर सदैव पूर्व-पश्चिम दिशा में होते हैं; क्योंकि सूर्यप्रकाश में अधिक मात्रा में पवित्रक होते हैं ।
चुंबकीय प्रभाव के कारण यहां का शिवलिंग हवा में डोलता था । वास्तुकला का यह एक अद्भुत उदाहरण तथा वहां सोना-चांदी का प्रचुर भंडार था ।
सद्गुरु डॉ. चारुदत्त पिंगळेजी ने उन्हे ‘तनावमुक्ति हेतु उपाय’, ‘ग्रह-तारों का सकारात्मक तथा नकारात्मक परिणाम कैसे होता है ?, इस संबंध में शोधकार्य, साथ ही ‘मंदिर में बैठने से होनेवाले सकारात्मक परिणाम’, इन विषयों की जानकारी दी ।
महाकुंभपर्व हेतु २ सहस्र ५०० करोड रुपए का प्रावधान
यह तलघर ६ फुट लंबा और ६ फुट चौड़ा है तथा उसमें मूर्ति समान वस्तु होने की बात कही जा रही है ।
अमेरिका तथा अन्य विदेशी विश्वविद्यालयोेंं में हिन्दू धर्मसंबंधी पाठ्यक्रम सीखाना आरंभ होने और उसे प्रचंड प्रतिसाद मिलने के पश्चात ही भारत के विश्वविद्यालय जग जाएंगे एवं वैसा पाठ्यक्रम सीखाना आरंभ करेंगे !
भारत में तथाकथित आधुनिकतावादी एवं बुद्धिवादी साम्यवाद को पकडकर हिन्दुओं का धर्मशास्त्र, प्रथा परंपरा आदि का विरोध कर रहे हैं एवं समाज का बुद्धिभेद कर रहे हैं । इसलिए सुखी एवं समृद्ध जीवन देनेवाला हिन्दू धर्म एवं धर्माचरण का महत्त्व युवाओं में विविध माध्यमों से कैसे पहुंचेगा ? यह देखना आज के युवाओं का प्रथम राष्ट्र एवं धर्म कर्तव्य सिद्ध होगा !
अधिवक्ता आनंद एस. जोंधळे ने यह आरोप करते हुए इस विषय में याचिका प्रविष्ट (दाखिल) कर प्रधानमंत्री मोदी को ६ वर्ष तक चुनाव लड़ने पर रोक लगाने की मांग की है ।
भारत में विगत २ सहस्र ५०० वर्षाें में अनेक कालगणनाएं उत्पन्न हुईं अथवा प्रचलित की गईं । इनमें से कुछ शुद्ध भारतीय, कुछ विदेशी, जबकि कुछ मिश्र स्वरूप की हैं ।
राज्य के लाखों भक्तों का आस्था स्थान श्री विट्ठल-रुक्मिणी मंदिर के लिए राज्य सरकार ने ७३ करोड रुपए का प्रावधान किया है ।