स्त्री अथवा पुरुष, ऐसा कोई भी अहं न रखते हुए, एक-दूसरे को सम्मान देना आवश्यक !
वर्तमान में पुरुष स्त्री की ओर ‘आदिशक्ति का रूप’, इस भाव से नहीं देखते । उसके कारण वे उसके साथ सम्मानपूर्वक व्यवहार नहीं करते
वर्तमान में पुरुष स्त्री की ओर ‘आदिशक्ति का रूप’, इस भाव से नहीं देखते । उसके कारण वे उसके साथ सम्मानपूर्वक व्यवहार नहीं करते
स्त्री शब्द का स्मरण होते ही एक सुंदर स्त्री हमारे आंखों के सामने आती है । प्रत्येक स्त्री बाह्यदृष्टि से सुंदर ही हो, ऐसा आवश्यक नहीं; परंतु यदि वह धर्माचरणी तथा धार्मिक वृत्ति की हो, तो वह अंतर्बाह्य सुंदर दिखती है, इसमें कोई संदेह नहीं है । उक्त चित्र में अध्ययन करें कि ‘खरी सुंदरता किसमें है ?’ तथा अपने मन पर धर्माचरण का महत्त्व अंकित करें !
तिथि : ‘प्रदेशानुसार फाल्गुनी पूर्णिमा से पंचमी तक पांच-छः दिनों में, कहीं दो दिन, तो कहीं पांचों दिन यह त्योहार मनाया जाता है । उत्सव मनाने की पद्धति १. स्थान एवं समय : किसी देवालय के सामने अथवा सुविधाजनक स्थान पर सायंकाल में होली जलानी होती है । अधिकतर किसी गांव के ग्रामदेवता के सामने … Read more
इस दिन होली की राख अथवा धुलि की पूजा का विधान है । पूजा हो जाने पर आगे दिए मंत्र से उसकी प्रार्थना करते हैं ।
भीषण आपातकाल का आरंभ होने से पूर्व ही सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत आठवलेजी के ग्रंथ-निर्मिति के कार्य में सम्मिलित होकर शीघ्र ईश्वरीय कृपा के पात्र बनें !
‘सनातन धर्म में सूर्य की नित्य उपासना करने के लिए कहा गया है । उसके अनुसार ‘सूर्य को अर्घ्य कैसे देना चाहिए ?’, इस संदर्भ में निम्न विश्लेषण दिया गया है ।
धर्मशिक्षा के अभाव में लोग उचित कृति करना तथा उसका महत्त्व भी भूल गए हैं । ‘ऐसे धार्मिक स्थलों की पवित्रता बनाए रखना तथा वहां के चैतन्य का कैसे हमें लाभ मिलेगा’, इसके लिए प्रयासरत रहने के लिए समाजमानस में जागृति लाना आवश्यक है !’
साधक की मृत्यु होने पर उसे साधना का पुनः एक बार अवसर मिले; इसके लिए ईश्वर उसे अच्छे वंश में जन्म दिलाते हैं; परंतु जीव साधना करनेवाला न हो, तो उसे मनुष्यजन्म लेने में अनेक वर्षाें का काल लग सकता है