‘ऑनलाइन’ धोखाधडी से सतर्क रहें !

सर्वसामान्य लोगों से लेकर उच्चवर्ग के लोगों से धोखाधडी की जा रही है । ‘डिजिटल एरेस्ट’ को एक व्यापक संकल्पना मान ली जाए, तब भी अन्य भी अनेक पद्धतियों से धोखाधडी की घटनाएं बढ रही हैं । हम ऐसी घटनाओं से किस प्रकार जागरूक रह सकते हैं ?, इसका मैंने स्वयं जो अनुभव किया है, उसके आधार पर यहां बताने का प्रयास कर रहा हूं ।

हिन्दू राष्ट्र-स्थापना हेतु हिन्दुओं को सक्रिय करनेवाली ‘हिन्दू जनजागृति समिति’ के दैवी कार्य में हो रही वृद्धि !

हिन्दू राष्ट्र की स्थापना हेतु हिन्दुओं को क्रियाशील बनानेवाली ‘हिन्दू जनजागृति समिति’ के वृद्धिंगत दैवी कार्य का आलेख विशद करनेवाला यह लेख !

आयुर्वेद एवं अध्यात्म की नींव सशक्त हो रहे हैं, इसके संकेत !

‘आईटी’ क्षेत्र में कार्यरत लोग वैश्विक शोधकार्य अथवा कुल मिलाकर स्वास्थ्य की स्थिति के संदर्भ में अच्छी मात्रा में जागृत रहते हैं । ‘लाक्षणिक स्वास्थ्यलाभ’ तथा ‘बीमारीमुक्त होना’, इनमें अंतर उन्हें समझ में आता है ।

आंखों का स्वास्थ्य तथा बढता जा रहा ‘स्क्रीन टाइम’

दिन-रात स्क्रीन के प्रखर प्रकाश के सामने रहने से उनकी आंखों को कष्ट हो सकता है । इसीलिए इन कृत्रिम; परंतु घातक किरणोत्सर्गीय गर्मी से आंखों की रक्षा करना आवश्यक होता है ।                         

आयुर्वेद के विषय में सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत आठवलेजी के तेजस्वी विचार !

‘शरीरमाद्यं खलु धर्मसाधनम् ।’ अर्थात ‘शरीर धर्माचरण का प्रथम साधन है ।’ शरीर स्वस्थ हो, तो साधना में शारीरिक समस्याएं नहीं आतीं । शरीर को सात्त्विक रखने से साधना में तीव्रगति से प्रगति होती है । ‘शरीर को सात्त्विक कैसे रखना चाहिए ?’, यह एलोपैथी नहीं, अपितु आयुर्वेद सिखाता है ।

आयुर्वेद : मानवीय जीवन का शास्त्र

मानवीय जीवन का सर्वांगीण विचार करनेवाला तथा सफल, पुण्यमय, दीर्घ एवं स्वास्थ्यमय जीवन कैसे व्यतीत करना चाहिए ?, इसका मार्गदर्शन करनेवाला शास्त्र है आयुर्वेद ! अपना स्वास्थ्य बनाए रखने के लिए सभी को आयुर्वेद में दिए स्वास्थ्य संबंधी नियम, दिनचर्या एवं ऋतुचर्या को समझ लेना आवश्यक है ।

आयुर्वेद में बताई दिनचर्या सहस्रों वर्ष उपरांत भी स्वास्थ्य के लिए लाभकारी !

आयुर्वेद तो सहस्रों वर्ष से चला आ रहा है; परंतु उसके सिद्धांत आज भी अचूकता से लागू होते हैं; इसीलिए आयुर्वेद चिरंतन है । इस लेख में हम समझ लेंगे कि ‘हमारी दिनचर्या आयुर्वेद के अनुसार कैसी होनी चाहिए ? तथा वह वैसे क्यों होनी चाहिए ?’

अच्छी नींद आने हेतु व्यायाम की पद्धति कैसी होनी चाहिए ?

व्यायाम के कारण नींद की गुणवत्ता में आनेवाला सुधार प्राकृतिक तथा औषधि रहित पद्धति है, जो संपूर्ण स्वास्थ्य लाभ हेतु उपयुक्त सिद्ध होती है । निरंतर हलचल अच्छी नींद की आदत को गति प्रदान करती है ।

सनातन की ग्रंथमाला

बाढ, विश्वयुद्ध आदि आपदाओं में डॉक्टर, औषधि आदि की अनुपलब्धता की स्थिति में तथा सामान्यत: भी उपयुक्त !

हिन्दू जनजागृति समिति की ओर से वृंदावन (उत्तर प्रदेश) में प्रांतीय हिन्दू राष्ट्र अधिवेशन संपन्न !

इस अधिवेशन में उत्तर प्रदेश, पंजाब, राजस्थान, मध्य प्रदेश, हरियाणा, उत्तराखंड एवं जम्मूसहित विभिन्न राज्यों के १२० से अधिक हिन्दुत्वनिष्ठ, संत, अधिवक्ता, विचारक, मंदिरों के न्यासी, संपादक, उद्योगपति तथा सूचना अधिकारी कार्यकर्ताओं ने सहभाग लिया ।