आंखों का स्वास्थ्य तथा बढता जा रहा ‘स्क्रीन टाइम’

(टिप्पणी : ‘स्क्रीन टाइम’ का अर्थ है चल-दूरभाष, संगणक, दूरदर्शन आदि देखने की कालावधि)

‘आधुनिक काल में हमारा चल-दूरभाष, संगणक, दूरदर्शन आदि देखना बढ गया है । इसलिए इन उपकरणों का उपयोग कम करना अनेक युवाओं को प्रतिदिन कठिन होता जा रहा है । हम वैद्यगण उन्हें इन उपकरणों का उपयोग जितना हो सके कम करने का सुझाव देते हैं । साथ ही अनेक लोग भले ही चल-दूरभाष एवं संगणक का अल्प उपयोग करने की इच्छा रखते हों; परंतु उनकी नौकरी अथवा व्यवसाय इन उपकरणों पर ही निर्भर होते हैं । उसके कारण कार्यान्वयन के स्तर पर उन्हें स्क्रीन का उपयोग टालना संभव नहीं होता । दिन-रात स्क्रीन के प्रखर प्रकाश के सामने रहने से उनकी आंखों को कष्ट हो सकता है । इसीलिए इन कृत्रिम; परंतु घातक किरणोत्सर्गीय गर्मी से आंखों की रक्षा करना आवश्यक होता है ।

वैद्य समीर मुकुंद परांजपे

आंखों के स्वास्थ्य के लिए निम्न कृतियां करें !

आंखों के लिए कुछ व्यायाम

१. तलुओं को तेल अथवा घी लगाएं ।

२. प्राचीन काल से चली आ रही हमारी संस्कृति लोग भूल जाते हैं; परंतु उसके पीछे कुछ कारण होते हैं । आंखों में काजल लगाना (अंजन) उन्हीं में से एक महत्त्वपूर्ण कृति है । आंखों में सामान्य घी का अंजन डालने से भी बहुत लाभ होता है ।

३. आंखों पर संभवतः कच्चे दूध की पट्टियां रखें । यदि ऐसा करना संभव न हो, तो उबालकर ठंडा किए दूध में रुई भिगोकर उसे आंखों पर रखें । दूध उपलब्ध न हो, तो उसके स्थान पर गुलाबजल की पट्टियां रखें ।

४. आंखों की सभी बाहरी बाजुओं में घी लगाएं । इससे आंखों की मांसपेशियों का तनाव अल्प होने में सहायता होती है ।

५. आहारीय पदाथों में आंवला आंखों के स्वास्थ्य के लिए हितकारी होता है ।

६. सबसे महत्त्वपूर्ण है स्क्रीन की ओर देखकर ‘स्क्रीन टाइम’ बढाए बिना बीच-बीच में कुछ विशिष्ट समय के उपरांत रुककर आंखों को कुछ क्षण तो विश्राम दें । यही कृति वाहन चलाते समय भी करना महत्त्वपूर्ण होता है ।

७. आंखों के लिए विशिष्ट प्रकार के व्यायाम सीखकर उन्हें नियमित रूप से करने से दृष्टि में सुधार आता है ।’

– वैद्य समीर मुकुंद परांजपे, खेर्डी, दापोली, रत्नागिरी (३.२.२०२३)

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