१. तारे के आकार का कंदील
इस प्रकार के कंदील से चंचल प्रकृति की तरंगें प्रक्षेपित होती हैं । इस कंदील को देखनेवाले के माध्यम से मध्य भाग तथा पाताल से ऊर्ध्व दिशा में प्रक्षेपित होनेवाला तमोगुण खिंचता है तथा वह स्वयं के विशिष्ट आकार के बल पर वातावरण में प्रक्षेपित होेता है ।
२. चतुष्कोणीय आकार का कंदील
इस कंदील से वलयांकित प्रकृति की तरंगें निरंतर प्रक्षेपित होती हैं । इस आकार के कंदील से तमोगुणी शक्तियां तमोगुण का प्रक्षेपण कर चतुष्कोणीय आकारवाली सारणी की प्रकृति का यंत्र लगाते हैं तथा उसके माध्यम से वे संबंधित वास्तु की चारों बाजुओं को दूषित करती हैं ।
३. षट्कोणीय आकार का कंदील
इस कंदील से समान मात्रा में इस घटक से संबंधित तरंगें प्रक्षेपित होती हैं । इस प्रकार के कंदील से संबंधित सभी ६ घटकों के सभी स्थानों पर तथा बाजू में तमोगुणी शक्ति का निरंतर प्रक्षेपण करनेवाले यंत्र के द्वारा ऊर्ध्व दिशा से अधो दिशा तक बडे स्तर पर तमोगुण का प्रक्षेपण किया जाता है ।
४. लंबवृत्त आकार का कंदील
इस प्रकार का कंदील निराकार होने के कारण तमोगुणी शक्तियों के लिए इस प्रकार के कंदील से तमोगुण का प्रक्षेपण करना संभव नहीं होता । केवल अत्यधिक शक्तिशाली तमोगुणी शक्तियों को ही इस प्रकार के कंदील में अपना स्थान स्थापित करना संभव हो पाता है ।’ – श्री. निषाद देशमुख (१५.१०.२००६)
धर्म-राष्ट्र से संबंधित जागृति करनेवाला ‘सनातन का कंदील’दीपावली का वास्तविक अर्थ है ‘अंधकार से प्रकाश की ओर ले जाना’ । आज के समय में विभिन्न स्तरों पर हिन्दू धर्म की हानि हो रही है तथा राष्ट्र पर अनेक संकट मंडरा रहे हैं । ऐसी स्थिति में हिन्दुओं में धर्म एवं राष्ट्र के प्रति जागृति लाने की आवश्यकता है । ऐसा हुआ, तभी वास्तव में दीपावली मनाई जा सकेगी । इसी संदेश को सभी तक पहुंचाने के लिए ‘सनातन संस्था’ धर्मजागृति एवं राष्ट्रजागृति करनेवाले लेखन अंकित कंदील बनाती है । सनातन का आकाश कंदील केवल एक कंदील नहीं है, अपितु वह श्री गुरुदेवजी का ज्ञानदीप है । |