‘सनातन प्रभात’ में किए गए उद्बोधन के अनुसार आज से ही कृति करना आरंभ करें !

पाक्षिक ‘सनातन प्रभात’ की २४ वीं वर्षगांठ के उपलक्ष्य में सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत आठवलेजी का संदेश

सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत आठवलेजी

‘वयं राष्ट्रे जागृयाम पुरोहिताः’ (यजुर्वेद अध्याय ९, ऋचा २३) अर्थात ‘हम पुरोहित राष्ट्र को जागृत करते रहेंगे ।’ इसमें ‘पुरोहित’ शब्द का अर्थ है, ‘जो ‘पुर’ अर्थात नगर का हित साध्य करता है, वह है पुरोहित !’ ‘सनातन प्रभात’ की यही भूमिका है । ‘सनातन प्रभात’ आधुनिक काल का पुरोहित है तथा वह निरंतर देशस्थ (देश में रहनेवाले) हिन्दुओं को जागृत रखने का प्रयास कर रहा है । ‘सनातन प्रभात’ विगत २५ वर्ष से प्रतिदिन उद्बोधन के माध्यम से समाज को धर्मबोध, राष्ट्रबोध एवं साधनाबोध दे रहा है । इस उद्बोधन के अनुसार आचरण करने से हिन्दू समाज का तथा हिन्दू राष्ट्र का शुभकल्याण होनेवाला है । इसलिए आज से ही ‘सनातन प्रभात’ में किए गए प्रबोधन के अनुसार कृति करना आरंभ करें !

‘सनातन प्रभात’ के नित्य कार्य में विगत २५ वर्ष से सक्रिय साधक, धर्मप्रेमी एवं विज्ञापनदाताओं की आध्यात्मिक उन्नति हो, इसके लिए श्री गुरुचरणों में प्रार्थना !

– सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत आठवलेजी, संस्थापक संपादक, ‘सनातन प्रभात’ नियतकालिक समूह (४.४.२०२३)