जिला नहीं, अपितु राज्यस्तर पर अल्पसंख्यकों का दर्जा निश्चित हो ! – सर्वाेच्च न्यायालय
अब देश के ९ राज्याें में हिन्दुओं को अल्पसंख्यक घोषित करना चाहिए, ऐसा हिन्दुओं को लगता है !
अब देश के ९ राज्याें में हिन्दुओं को अल्पसंख्यक घोषित करना चाहिए, ऐसा हिन्दुओं को लगता है !
जनसंख्या के संदर्भ में भारत शीघ्र ही चीन को पराजित कर देगा । इस पृष्ठभूमि पर राष्ट्रप्रेमियों को लगता है कि समान नागिरकता कानून एवं जनसंख्या नियंत्रण कानून तुरंत कार्यान्वित होने चाहिए !
‘वन्दे मातरम्’ भारत की सांस्कृतिक धरोहर है, जिसे देश के प्रत्येक नागरिक को मान्य करना चाहिए । अन्यथा हमें देश का नागरिक कहलवाने का कोई अधिकार नहीं है । ‘वन्दे मातरम्’ गीत में भारतमाता का सम्मान है ।
‘प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट’ (पी.एम्.एल्.ए.) कानून के अंतर्गत बंदी के लिए प्रवर्तन निदेशालय के (‘ईडी’के) अधिकार सर्वोच्च न्यायालय ने कायम रखा है । इस कानून के अंतर्गत व्यवस्थाओं को संविधानात्मक आवाहन देनेवाली याचिकाओं पर सुनवाई करते समय न्यायालय ने यह निर्णय दिया ।
पत्नी निर्दोष है और उसे कोई भी दंड नहीं मिला है । उसे मातृत्व से वंचित न रखा जाए । वंश संरक्षण के उद्देश्य से विविध धार्मिक ग्रंथ, साथ ही न्यायिक निर्णयों में भी संतानोत्पत्ति को महत्व दिया गया है ।
ज्ञानवापी परिसर में मिले शिवलिंग की पूजा करने की अनुमति मांगने वाली और उसकी ‘कार्बन डेटिंग’ (कोई वस्तु कितने वर्ष पुरानी है, यह जांचना) करने की मांग करने वाली नई याचिका पर अभी सुनवाई करने के लिए सर्वोच्च न्यायालय ने मना कर दिया ।
जब हिन्दुओं और हिन्दुत्व के लिए प्रतिकूल समय था, तब अनेक राष्ट्रविरोधी शक्तियों ने उसमें अपने हाथ धो लिए । अब उसका दंड भुगतने का समय आ गया है; क्योंकि आज के समय में हिन्दुओं, हिन्दुत्व और हिन्दू राष्ट्र के लिए अनुकूल समय बडी तीव्र गति से आ रहा है ।
मुगलों ने हिन्दुओं पर जो अत्याचार किए, उसका इतिहास विद्यालयीन पाठ्यक्रम में सिखाया जाना चाहिए । छत्रपति शिवाजी महाराज ने किस प्रकार से अफजल खान का वध किया और शाहिस्ते खान की उंगलियां काट दीं, यह हिन्दुओं के पराक्रम का इतिहास युवा पीढी को सिखाया जाना चाहिए ।
आरोपी के नियमित प्रतिभूती (जमानत) के पत्र पर २ सप्ताह के भीतर तथा अंतरिम आवेदन पर ६ सप्ताह के भीतर निर्णय लिया जाए । राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को किसी को भी बंदी बनाने से पूर्व भारतीय दंड संहिता की धारा ४१ और ४१ए का पालन करने का निर्देश दिया गया है ।
भारत के बैंकों के सहस्रों करोड रुपयों की धोखाधडी करने के पश्चात विदेश भाग गए उद्योगपति विजय माल्या को सर्वोच्च न्यायालय ने न्यायालय का अवमान करने के प्रकरण में ४ माह के कारावास के साथ ही २ सहस्र रुपयों के भुगतान का दंड सुनाया ।