१० से १७ वर्ष आयु के १ करोड ५८ लाख बच्चे व्यसनाधीन ! – केंद्र सरकार ने दी उच्चतम न्यायालय को जानकारी
यह स्थिति स्वतंत्रता के उपरांत अभी तक के सभी शासनकर्ताओं के लिए लज्जास्पद ! बच्चों को यदि बचपन से साधना सिखाई गई होती, तो बच्चे सदाचरणी बने होते !
यह स्थिति स्वतंत्रता के उपरांत अभी तक के सभी शासनकर्ताओं के लिए लज्जास्पद ! बच्चों को यदि बचपन से साधना सिखाई गई होती, तो बच्चे सदाचरणी बने होते !
उच्चतम न्यायालय नको ऐसा होने के लिए भी प्रयास करने चाहिए, ऐसा ही जनता को लगता है !
देश के विविध उच्च न्यायालयों में आज भी अनेक न्यायालयीन पद रिक्त हैं । इस कारण इन न्यायालयों में प्रकरण बडी मात्रा में प्रलंबित हैं । इस पर उपाय निकालने के लिए उच्चतम न्यायालय ने केंद्र सरकार को एक सूचना जारी की है ।
यदि देश की सीमा सुरक्षित नहीं होगी, तो देश कैसे चलेगा ? आपको गलत बातों पर लगाम लगानी चाहिए, ऐसे शब्दों में उच्चतम न्यायालय ने पंजाब की आम आदमी पार्टी की सरकार को फटकार लगाई ।
बलपूर्वक हो रहे धर्मांतरण के संबंध में भाजपा नेता और अधिवक्ता (श्री.) अश्विनी कुमार उपाध्याय की याचिका पर उच्चतम न्यायालय में सुनवाई चल रही है । इस प्रकरण में अगली सुनवाई १२ दिसंबर से चालू होने वाली है ।
अब केंद्र सरकार को ही उस स्थान पर खुदाई कर सत्य इतिहास लोगों के सामने लाना चाहिए, ऐसी ही हिन्दू समाज की अपेक्षा है । ऐसा करने पर ऐसी याचिका पुन:-पुन: प्रविष्ट नहीं की जाएंगी !
अनादि काल से भारत एवं नेपाल हिन्दू राष्ट्र थे; परंतु धर्मनिरपेक्ष व्यवस्था के दुष्टचक्र में फंसने के कारण यहां के हिन्दुओं का दमन हो रहा है । इस स्थिति में परिवर्तन लाने हेतु पुनः संवैधानिक पद्धति से हिन्दू राष्ट्र की स्थापना करना अनिवार्य बन गया है ।
हमें मृत व्यक्ति और उसके परिवार के विषय में संपूर्ण सहानुभूति है; लेकिन वैक्सिनेशन के उपरांत व्यक्ति पर हुए किसी भी प्रतिकूल परिणाम के लिए हमें उत्तरदायी नहीं ठहराया जा सकता, ऐसा प्रतिज्ञापत्र केंद्र सरकार ने उच्चतम न्यायालय में प्रस्तुत किया ।
ऐसे कितने वरिष्ठ अधिवक्ता हैं, जो अपने साथ काम करनेवाले कनिष्ठ अधिवक्ताओं को योग्य वेतन देते हैं ? लोगों को न्याय दिलाने का काम करनेवाले कनिष्ठ अधिवक्ताओं को योग्य वेतन देना चाहिए । जो वरिष्ठ अधिवक्ताओं के गुलाम नहीं ।
वाराणसी के ज्ञानवापी में मिले शिवलिंग को सुरक्षा देने के प्रथम आदेश को सर्वोच्च न्यायालय ने स्थायी रखा है । न्यायालय ने अगले आदेश तक सुरक्षा देने के लिए कहा है ।