नई देहली – कोई अधिवक्ता देहली, मुंबई, कोलकाता एवं बेंगळुरू शहरों में रहते होंगे, तो उसे अपने चरितार्थ के लिए काफी पैसे लगते हैं । ऐसे शहरों में कमरे का किराया, प्रवास, भाेजन इत्यादि के लिए पैसोंं की आवश्यकता तो लगती ही है । ऐसे कितने वरिष्ठ अधिवक्ता हैं, जो अपने साथ काम करनेवाले कनिष्ठ अधिवक्ताओं को योग्य वेतन देते हैं ? लोगों को न्याय दिलाने का काम करनेवाले कनिष्ठ अधिवक्ताओं को योग्य वेतन देना चाहिए । जो वरिष्ठ अधिवक्ताओं के गुलाम नहीं । वकीली करना, केवल यही इस क्षेत्र के वरिष्ठों का काम नहीं । ऐसा स्पष्ट प्रतिपादन सरन्यायाधीश धनंजय चंद्रचूड ने यहां की बार कौन्सिल ऑफ इंडिया के कार्यक्रम में किया ।
Senior lawyers should pay juniors well, not treat them as slaves: CJI DY Chandrachud
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— Bar & Bench (@barandbench) November 20, 2022
वकीली क्षेत्र वरिष्ठ लोगों का ‘क्लब’ !
सरन्यायाधीश धनंजय चंद्रचूड आगे बोले, ‘‘वकीली क्षेत्र में भारी मात्रा में असमानता है । सर्वोच्च न्यायालय के एक अधिवक्ता के पास ७-८ वीडियो कॉन्फरन्सिंग स्क्रीन होते हैं । माऊस की एक क्लिक पर एक न्यायालय से दूसरे न्यायालय में जाने की सुविधा होती है । (विविध न्यायालयों की सुनवाई के समय ऑनलाईन उपस्थित रहने की सुविधा होती है ।) दूसरी ओर कुछ ऐसे कुछ अधिवक्ता हैं, जो कोरोना काल में संकट में पड गए थे । वकीली क्षेत्र वरिष्ठ लोगों का क्लब है । यहां केवल एक ही समूह के लोगों को अवसर मिलता है । यह चित्र बदलना चाहिए ।