नई देहली – बलपूर्वक धर्मांतरण करने के प्रकरण में एक याचिका पर सुनवाई के समय उच्चतम न्यायालय ने केंद्र सरकार को विस्तार से प्रतिज्ञापत्र प्रस्तुत करने को कहा है । उच्चतम न्यायालय ने कहा कि, बलपूर्वक अथवा फंसाकर किया धर्मांतरण, यह एक गंभीर सूत्र है । बलपूर्वक हो रहे धर्मांतरण के संबंध में भाजपा नेता और अधिवक्ता (श्री.) अश्विनी कुमार उपाध्याय की याचिका पर उच्चतम न्यायालय में सुनवाई चल रही है । इस प्रकरण में अगली सुनवाई १२ दिसंबर से चालू होने वाली है ।
Forced #religious conversion against Constitution: #SupremeCourt
Reaffirming that forced religious conversion is a “serious issue”, the Supreme Court said on Monday it is against the Constitution.https://t.co/XTbBowqDuO
— The Times Of India (@timesofindia) December 5, 2022
न्यायमूर्ति एम.आर. शाह और न्यायमूर्ति सी.टी. रविकुमार की खंडपीठ ने धर्मांतरण के प्रकरण पर सुनवाई करते समय बताया कि, दान और समाजसेवा एक अच्छी बात है; लेकिन धर्मांतरण के पीछे कोई भी गुप्त हेतु नहीं होना चाहिए । केंद्र सरकार ने उच्चतम न्यायालय को बताया कि, ‘देश में बलपूर्वक होने वाला धर्मांतरण रोकने के लिए आवश्यक योग्य कदम उठाएंगे’ । केंद्र सरकार ने स्पष्ट किया कि, समाज के कमजोर घटकों को सुरक्षा प्रदान करने के लिए धर्मांतरण विरोधी कानून आवश्यक है ।