समलैंगिकता एक विकृति है और ऐसे विवाह को मान्यता मिलने से समाज में यह विकृति बढेगी ! – राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की महिला शाखा

समलिंगी विवाह, एक विकार है । रा.स्व. संघ से संलग्न महिला शाखा द्वारा सर्वेक्षण |

पुनः पुन: न्यायालय में याचिका प्रविष्ट करनेवाले व्यक्ति को सर्वोच्च न्यायालय ने फटकारते हुए १० सहस्र रुपए का दंड सुनाया !

इस प्रकार की याचिकाएं प्रविष्ट करना समय का अपव्यय करने समान है’, न्यायालय ने ऐसा कहा ।

उच्चतम न्यायालय ने दोषी बलवंत सिंह राजोआना के मृत्युदण्ड में नहीं किया परिवर्तन

दण्ड निर्धारित होने के इतने वर्ष उपरांत भी उसकी कार्यवाही न होना यह पंजाब की अभी तक की सभी पक्षों की सरकारों के लिए लज्जास्पद ! विशेष न्यायालय ने बलवंत सिंह राजोआना को मृत्युदण्ड सुनाया था ।

‘द केरल स्टोरी’ के प्रसारण पर प्रतिबंध लगाना अनुचित ! – सर्वाेच्च न्यायालय

सर्वाेच्च न्यायालय ने कहा है, ‘द केरल स्टोरी’ के प्रसारण पर प्रतिबंध लगाने की मांग करनेवाली याचिका पर तत्काल सुनवाई करना उचित नहीं होगा । चलचित्र (फिल्म) के प्रसारण से पूर्व ही उसे चुनौती देना अनुचित है ।

(ये कहते हैं !) ‘ईसाई धर्म प्रचारकों के धर्म प्रचार में कुछ भी अवैध नहीं है!’

ईसाई धर्म प्रचारकों ने यह भी दावा किया कि वे कुछ भी अवैध नहीं कर रहे हैं !

न्यायालय का समय एक काल्पनिक विषय पर नष्ट किया जा रहा है,  जबकि अनेक प्रकरण प्रलंबित हैं !

समलैंगिक विवाह के विरुद्ध जैन आचार्य शिव मुनि का राष्ट्रपति को पत्र !

समलिंगी विवाह में पत्नी कौन ? – केंद्र सरकार का सर्वाेच्च न्यायालय से प्रश्न

‘समलिंगी विवाह को मान्यता प्राप्त हो’, इसलिए सर्वाेच्च न्यायालय में २० याचिकाओं पर छठे दिन सुनवाई हुई । इस समय केंद्र सरकार का पक्ष प्रस्तुत करते हुए महाअधिवक्ता तुषार मेहता ने पूछा कि, ‘समलैंगिक विवाह में पत्नी कौन तथा उसकी देखभाल करने का अधिकार किसे प्राप्त होगा ?

कर्नाटक के मुसलमानों का आरक्षण रहित करने की याचिका पर ९ मई उपरांत निर्णय

कर्नाटक की भाजपा सरकार ने राज्य के मुसलमानों के लिए ४ प्रतिशत आरक्षण रहित करने के निर्णय के विरोध में सर्वोच्च न्यायालय में याचिका प्रविष्ट की है ।

ज्ञानवापी में जिस स्थान पर शिवलिंग मिला है, वहां वजू की अनुमति नहीं दे सकते !

ज्ञानवापी में मिले शिवलिंग के निकट मुसलमान पक्ष द्वारा वजू के लिए की मांग का उत्तर प्रदेश सरकार ने सर्वोच्च न्यायालय में विरोध किया है ।

कारसेवकों को जलाने वाले ८ दोषियों को उच्चतम न्यायालय की ओर से जमानत

वर्ष २००२ के गुजरात दंगों का प्रारंभ साबरमती एक्सप्रेस के डिब्बे को आग लगाकर कारसेवकों को जिंदा जलाने से हुआ । उस घटना के दोषी ८ धर्मांध मुसलमानों को उच्चतम न्यायालय ने जमानत पर छोड दिया है ।