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(द्रमुक का अर्थ है ; द्रविड मुनेत्र कडगम – द्रविड प्रगति संघ है)
चेन्नई (तमिलनाडु) – तमिलनाडु राज्य में अनेक वर्षों से बलपूर्वक धर्मांतरण की कोई घटना नहीं हुई है। ईसाई धर्म प्रचारकों के प्रचार में कुछ भी अवैध नहीं है। इसे तब तक अयोग्य नहीं कहा जा सकता जब तक कि वे ऐसा करने के लिए अवैध पद्धतियों का उपयोग न करें । साथ ही तमिलनाडु की द्रमुक सरकार ने सर्वोच्च न्यायालय में एक शपथ पत्र प्रस्तुत किया है, कि लोगों को यह अधिकार है कि वे जिस धर्म का पालन करना चाहते हैं, उसे चुनें। भाजपा नेता और अधिवक्ता अश्विनी उपाध्याय ने इस संबंध में याचिका प्रविष्ट की है। सरकार ने उस पर उपरोक्त भूमिका प्रस्तुत की।
‘मिशनरियों द्वारा ईसाई मजहब फैलाना गैरकानूनी नहीं’: सुप्रीम कोर्ट में बोली तमिलनाडु की DMK सरकार – उन्हें निशाना बनाए जाने की हो रही कोशिश#TamilNadhu #Christianity #SupremeCourt #Conversionhttps://t.co/kVNV5f3cO4
— ऑपइंडिया (@OpIndia_in) May 1, 2023
१. तमिलनाडु सरकार ने बलपूर्वक धर्मांतरण के प्रकरण की सी.बी.आई. जांच की, अधिवक्ता उपाध्याय की मांग और धर्मांतरण विरोधी कानून के प्रारूप तैयार करने की विधि आयोग की मांग का विरोध किया है।
२. सरकार ने आगे कहा कि अल्पसंख्यकों के विरुद्ध धर्मांतरण विरोधी कानून के दुरुपयोग का डर है। तमिलनाडु में गत कुछ वर्षों से बलपूर्वक धर्म परिवर्तन की कोई घटना नहीं हुई है। सरकार ने दावा किया है कि अधिवक्ता उपाध्याय द्वारा प्रविष्ट याचिका ईसाई धर्म और विचारधारा के विरुद्ध है।
३. सरकार ने एक शपथ पत्र में कहा कि भारत के संविधान का अनुच्छेद २५ प्रत्येक नागरिक को अपने धर्म का प्रचार करने के अधिकार का आश्वासन देता है, इसलिए ईसाई धर्म का प्रसार करने वाले धर्म प्रचारकों के कार्य को असंवैधानिक नहीं कहा जा सकता।
संपादकीय भूमिका
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