नई देहली – ‘समलिंगी विवाह को मान्यता प्राप्त हो’, इसलिए सर्वाेच्च न्यायालय में २० याचिकाओं पर छठे दिन सुनवाई हुई । इस समय केंद्र सरकार का पक्ष प्रस्तुत करते हुए महाअधिवक्ता तुषार मेहता ने पूछा कि, ‘समलैंगिक विवाह में पत्नी कौन तथा उसकी देखभाल करने का अधिकार किसे प्राप्त होगा ? ‘गे’ (पुरुष युगल) अथवा ‘लेस्बियन’ (स्त्री युगल) विवाह में पत्नी किसे कहा जाएगा ? इसपर सर्वाेच्च न्यायलय के सरन्यायाधीश डी. वाय. चंद्रचूड ने कहा कि समलिंगी विवाह के लिए आवेदन का विचार किया जाए तो इसका अर्थ ऐसा होगा कि पत्नी भरणपोषण के लिए दावा कर सकती है; परंतु यह नियम समलिंगी विवाहों को लागू नहीं होगा ।
#SameSexMarriage Hearing
Supreme Court says recognising same-sex marriage is up to the #Parliament but asks #centralgovt to devise means to confer legal rights, and benefits on same-sex couples without marriage label.#News9's @brijeshpandey27 & @kabir_naqvi discuss…#LGBTQIA pic.twitter.com/zCcGgKkMd1— News9 (@News9Tweets) April 27, 2023
महाअधिवक्ता तुषार मेहता ने आगे कहा कि समलैंगिक विवाहों को मान्यता देने की मांग करनेवालों की इच्छा है कि, ‘विशेष विवाह कानून का पुनर्लेखन किया जाए’ । क्या एक ओर विषमलैंगिकों के लिए एवं दूसरी ओर समलैंगिकों के लिए लागू होनेवाला कानून हो सकता है ? यह अर्थहीन है ।