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नई देहली- वर्ष २००२ के गुजरात दंगों का प्रारंभ साबरमती एक्सप्रेस के डिब्बे को आग लगाकर कारसेवकों को जिंदा जलाने से हुआ । उस घटना के दोषी ८ धर्मांध मुसलमानों को उच्चतम न्यायालय ने जमानत पर छोड दिया है । इनमें से कुछ लोग आजीवन कारावास का दंड भोग रहे थे, तो कुछ लोगों को फांसी का दंड सुनाया गया है । इन दोषियों ने १७ से २० वर्ष दंड भोग लिया है । ४ दोषियों की याचिका उच्चतम न्यायालय ने नकार दी है ।
१. गुजरात दंगों के प्रकरण में सत्र न्यायालय ने मार्च २०११ में ११ दोषियों को फांसी का दंड और २० को आजीवन कारावास का दंड सुनाया था । अन्य ६३ आरोपियों को निर्दोष मुक्त कर दिया गया था ।
२. फांसी के दंड के विरोध में गुजरात उच्च न्यायालय में चुनौती दी गई । इस पर वर्ष २०१७ में उच्च न्यायालय ने ११ लोगों के फांसी के दंड को आजीवन कारावास में बदल दिया । इस कारण आजीवन कारावास भोगने वालों की संख्या ३१ हो गई । आजीवन कारावास का दंड भोगने वाले दोषियों को जमानत मिले, इसके लिए वर्ष २०१८ में याचिका प्रविष्ट की गई थी । इस पर उच्चतम न्यायालय में जमानत देते हुए यह निर्णय दिया ।
The Supreme Court on Friday granted bail to eight life convicts in the 2002 Godhra train carnage case in #Gujarat while refusing to consider the application of four others in view of their roles in the violence
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जमानत का विचार
आजीवन कारावास भोग रहे दोषियों का १७ वर्ष का दंड भोग कर हो गया था और उनके आचरण में सुधार होने से, साथ ही इस प्रकरण में प्रविष्ट की गई याचिकाओं पर शीघ्र सुनवाई होने की संभावना न होने से न्यायालय ने उन्हें जमानत दी । जमानत देते समय शर्तें रखी गई हैं ।