समलैंगिक विवाह, नगरी धनवानों की एक संकल्पना !
केंद्र सरकार द्वारा सर्वोच्च न्यायालय में समलैंगिक विवाह का विरोध !
केंद्र सरकार द्वारा सर्वोच्च न्यायालय में समलैंगिक विवाह का विरोध !
ये फेरियां राज्य के मुख्य मंत्री स्टॅलिन सरकार द्वारा प्रतिबंधित की गई थीं; परंतु सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के उपरांत अनुमति दी गई ।
साथ ही अपराधी विकास दुबे से हुई मुठभेड की भी केंद्रीय अन्वेषण विभाग द्वारा जांच की मांग की गई है ।
सभी रुग्णालयाें में हिन्दी, अंग्रेजी और प्रादेशिक भाषा में ऐसा फलक (बैनर) लगाएं कि ‘हम सहायक व्यक्ति को रोकेंगे नहीं और न ही उससे पैसे लेंगे ।’ यह फलक रुग्णालय के दर्शनीय भाग में लगाया जाए, जिससे सभी का इसपर ध्यान जाए ।
सर्वोच्च न्यायालय के निवृत्त न्यायमूर्ति चेलमेश्वर ने कहा, ‘कुछ न्यायमूर्ति आलसी हैं । वे समय पर निर्णय भी नहीं लिखते हैं । उनको निर्णय लिखने में अनेक वर्ष लग जाते हैं । कुछ न्यायमूर्तियों को तो काम करना भी नहीं आता ।’
‘तहसीन पूनावाला’ प्रकरण में अपराध पंजीकृत कर इसका अन्वेषण अगले स्तर पर पहुंच गया है, साथ ही आवाज के उदाहरण भी न्याय-चिकित्सकीय प्रयोगशाला को भेजे गए हैं तथा वे शीघ्र ही अन्वेषण विभाग को मिलेंगे ।
दोषी व्यक्ति को मृत्युदंड के रूप में फांसी पर लटकाने के स्थान पर दूसरा दंड दे सकते हैं क्या ? इसका केंद्र सरकार को विचार करना चाहिए, साथ ही विशेषज्ञों की समिति बनाकर अल्प पीडा का दूसरा पर्याय सुझाना चाहिए, ऐसी सूचना उच्चतम न्यायालय ने दी है ।
न्यायालय के प्रलंबित अभियोग एवं न्यायालय को मिलनेवाली छुट्टियों के संदर्भ में सदा ही प्रश्न पूछे जाते है । ‘इंडिया टुडे कॉन्क्लेव’ में (परिषद में) बोलते समय वे इस पर बोल रहे थे ।
महिलाओं के संगठन, महिला आयोग अथवा मानवाधिकार संगठन ऐसी घटनाओं में कभी भी मुसलमान महिलाओं की सहायता करने के लिए आगे नहीं आते !
भोपाल में वर्ष १९८४ में हुई गैस रिसाव दुर्घटना के पीडितों को अतिरिक्त क्षतिपूर्ति देने की मांग करनेवाले निर्णय पर प्रविष्ट पुनर्विचार याचिका सर्वाेच्च न्यायालय ने अस्वीकार की । वर्ष २०१० में यह याचिका प्रविष्ट की गई थी ।