अतिक अहमद के साथ ही उत्तर प्रदेश के १८३ मुठभेडों की जांच के लिए सर्वोच्च न्यायालय में याचिका प्रविष्ट

नई देहली – उत्तर प्रदेश का कुख्यात अपराधी अतिक अहमद एवं उसका भाई अशरफ, दोनों के पुलिस नियंत्रण में रहते हुए हुई हत्या के प्रकरण में अधिवक्ता विशाल तिवारी ने सर्वोच्च न्यायालय में याचिका प्रविष्ट की है । इस याचिका में सर्वोच्च न्यायालय के निवृत्त न्यायाधीशों की निगरानी में जांच करने की मांग की गई है । साथ ही वर्ष २०१७ से उत्तर प्रदेश में हुए १८३ मुठभेडों की भी जांच की मांग की गई है । साथ ही अपराधी विकास दुबे से हुई मुठभेड की भी केंद्रीय अन्वेषण विभाग द्वारा जांच की मांग की गई है ।

अधिवक्ता तिवारी ने कहा है कि इस प्रकार की कार्रवाई लोकतंत्र एवं शासन के लिए गंभीर संकट है । ऐसा कृत्य अराजकता है । न्यायबाह्य असाधारण हत्याओं अथवा झूठी (फर्जी) पुलिस मुठभेडों की व्यापक रूप से निंदा की जानी चाहिए । लोकतंत्र में पुलिस को अंतिम न्यायाधीश अथवा दंडाधिकारी के रूप में अनुमति नहीं दी जा सकती । दंड देने का अधिकार केवल न्यायपालिका को है । जब पुलिस के साहस दृढ होते हैं, तब कानून का पूरा शासन पूर्णतया ध्वस्त हो जाता है एवं लोग पुलिस से डरते हैं, जो लोकतंत्र के लिए अत्यंत घातक है साथ ही उससे अधिक अपराध होते हैं ।