मुसलमान , ईसाई, सिख आदि को अल्पसंख्यक घोषित करने वाली अधिसूचना के विरोध में उच्चतम न्यायालय में याचिका प्रविष्ट !

देवकीनंदन ठाकुर ने मुसलमान , ईसाई, सिख, बौद्ध, पारसी और जैन समुदाय को राष्ट्रीय अल्पसंख्यक घोषित करने वाली केंद्र सरकार की १९९३ की अधिसूचना के विरोध उच्चतम न्यायालय में याचिका प्रविष्ट की है । उन्होंने याचिका में यह भी कहा है कि अधिसूचना मनमाना, तर्कहीन और संविधान के अनुच्छेद १४, १५, २१, २९ एवं ३० के विरूद्ध है।

अनधिकृत निर्माणकार्य करनेवालों के संरक्षक !

अवैध निर्माणकार्याें के कारण मूलभूत सुविधाओं पर तनाव आता है । यह समस्या केवल नगरनियोजन तक सीमित नहीं है, अपितु राष्ट्रीय सुरक्षा से संबंधित है । ऐसे स्थानों से देशविरोधी गतिविधियां चलाए जाने की अनेक घटनाएं अभी तक सामने आई हैं ।

हलाल प्रमाणपत्र और उत्पादों पर प्रतिबंध लगाने के लिए सर्वोच्च न्यायालय में याचिका !

याचिकाकर्ता विभोर आनंद का अभिनंदन ! वास्तव में ऐसी याचिका प्रविष्ट करने की नौबत राष्ट्रप्रेमियों एवं धर्मप्रेमियों पर नहीं आनी चाहिए । सरकार को स्वयं भारतीय अर्थव्यवस्था को समानांतर हलाल अर्थव्यवस्था एवं उसके लिए दिया जानेवाला हलाल प्रमाणपत्र बंद करने के लिए कदम उठाना चाहिए !

अयोध्या, काशी और मथुरा के मंदिरों की मुक्ति के लिए लडी गई न्यायालयीन लडाई !

राम मंदिर के संदर्भ में ‘प्लेसेस ऑफ वरशिप एक्ट’ के सेक्शन ४ को छूट दी गई थी । आज की तारीख में आर्टिकल २५४ (२) के अंतर्गत राज्य सरकार को उसमें सुधार कर उसे काशी और मथुरा से जोडा जाए और उसके उपरांत राष्ट्रपति उस पर हस्ताक्षर करेंगे ।