नई देहली – प्रधान न्यायाधीश धनंजय चंद्रचुड ने ‘इंडिया टुडे कॉन्क्लेव’ में (परिषद में) बोलते समय जानकाऱी दी कि न्यायाधीश सप्ताह में सातों दिन काम करते हैं । सर्वोच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति सोमवार से शुक्रवार तक प्रतिदिन ५० से ६० प्रकरण सुनते है । बहुतबार निर्णय गुप्त रखे जाते हैं । इसलिए शनिवार को न्यायाधीश अपने निर्णय लिखवाने में व्यस्त रहते हैं । वे रविवार को भी सोमवार की सुनवाई की तैयारी करते हैं । न्यायाधीश वर्ष के २०० दिन न्यायालय में काम करते हैं । यदि वे अवकाश पर हों, तब भी उनके भीतर न्यायालय के प्रलंबित प्रकरण, कानून, एवं नियम, यही सब विचार आरंभ रहते हैं । थोडा-बहुत समय मिलता है, उसमें भी वे अपने कामकाज का ही विचार करते रहते हैं । न्यायालय के प्रलंबित अभियोग एवं न्यायालय को मिलनेवाली छुट्टियों के संदर्भ में सदा ही प्रश्न पूछे जाते है । वे इस पर बोल रहे थे ।
प्रधान न्यायाधीश द्वारा प्रस्तुत सूत्र
१. कोई भी व्यवस्था पूर्ण नहीं होती; परंतु हमारी सबसे उत्तम प्रणाली है । ‘कॉलेजियम’ (न्यायमूर्तियों की नियुक्ति एवं स्थानांतर से संबंधित प्रणाली) प्रणाली का प्रमुख उद्देश्य है ‘न्यायव्यवस्था को स्वतंत्र एवं सुरक्षित रखा जाए’ । यदि हमें न्यायव्यवस्था की स्वतंत्रता अखंड रखनी है, तो उसे बाहरी प्रभावों से दूर रखना होगा ।
२. मैं २३ वर्षों से न्यायाधीश के रूप में कार्य कर रहा हूं; परंतु कभी किसी ने मुझे यह नहीं बताया कि किसी प्रकरण में किस तरह निर्णय लें ? सरकार से कभी कोई दबाव नहीं पडा ।