Patanjali Case : विज्ञापन के आकार इतना क्षमापत्र छापा क्या ? – उच्चतम न्यायालय
कथित अयोग्य विज्ञापन प्रसारित करनेवाले ‘पतंजलि’ के विरोध में याचिका !
कथित अयोग्य विज्ञापन प्रसारित करनेवाले ‘पतंजलि’ के विरोध में याचिका !
न्यायालय ने कहा कि चिकित्सा ब्योरे में स्पष्टरूप से कहा है कि गर्भपात लडकी के लिए संकटजनक हो सकता है; परंतु बच्चे को जन्म देना उसके लिए अधिक संकटजनक है । यह दुर्लभ घटना है, ऐसा न्यायालय ने कहा है ।
योग शिविर में प्रवेश के लिए शुल्क लिए जाने का दिया कारण !
कन्हैयालाल हत्या मामले का उल्लेख याचिका में न होने से न्यायालय ने मुसलमान अधिवक्ता को सुनाई !
पाकिस्तान में हिन्दुओं द्वारा इस्लाम का अपमान करने की अफवाह फैलाकर उन्हें जान से मारने की अथवा दंड सुनाए जाने के अनेक उदाहरण हैं । नेपाल के मुसलमान भी यही कर रहे हैं, ऐसा लगे इसमें क्या गलत ?
न्यायालय ने मुसलमान पक्ष की मांगों को अस्वीकार किया । इसलिए अब इन याचिकाओं की सुनवाई एकसाथ उच्च न्यायालय में होगी ।
‘हम आपको फाड डालेंगे’ ऐसा कहने की यह भाषा सडक छाप है और यह संकटजनक है । ऐसे शब्द संवैधानिक न्यायालय के न्याय के शब्दकोश का भाग नहीं हो सकते ।
यदि रहीम के बदले में किसी हिन्दू के विषय में ऐसा हुआ होता, तो क्या ऐसा बंधुभाव जताया जाता ?, यह प्रथम प्रश्न है ! ‘हिन्दुद्वेष एवं मुसलमानप्रेम’, ऐसी भारतीय साम्यवाद की परिभाषा होने के कारण क्या विजयन ने पीडित हिन्दू की रक्षा के लिए मुस्लिमों को चुनौती दी होती, यह दूसरा प्रश्न है !
न्यायालय को ऐसे चिकित्सालयों को केवल फटकार कर छोड देने की अपेक्षा उनसे आश्वासनों एवं नियमों की पूर्ति हो, इसलिए कठोर नीति अपनाकर आदेश देना चाहिए, ऐसा ही आम-जनता को लगता है !
सर्वोच्च न्यायालय के प्रखर हिन्दुत्वनिष्ठ अधिवक्ता (श्री.) अश्विनी उपाध्यायजी ने गुडी पाडवा (चैत्र शुक्ल प्रतिपदा) के मंगलपर्व पर ९ अप्रैल को सनातन आश्रम की सदिच्छा भेंट ली ।