केरल उच्च न्यायालय की ओर से ‘पी.एफ.आई.’ को ५ करोड रुपए का दंड
केवल दंड ही नहीं, तो संबंधित लोगों को कठोर दंड देकर उन्हें कारावास में डालें !
केवल दंड ही नहीं, तो संबंधित लोगों को कठोर दंड देकर उन्हें कारावास में डालें !
अन्वेषण यंत्रणा की कार्यवाही के पश्चात भी ‘पी.एफ्.आई.’ आक्रमण की तैयारी करती है, इससे यह ध्यान में आता है कि वे कितने सज्ज हैं ! इतना होने तक भी उसके विरुद्ध कार्यवाही का न होना लज्जाजनक !
‘केरल में माकप गठबंधन की सरकार होते हुए उसने यह हिंसाचार क्यों नहीं रोका ?’, इसका उत्तर देना चाहिए !
केरल में पापुलर फ्रंट ऑफ इंडिया द्वारा २३ सितंबर को किए बंद के समय हुई हिंसा की केरल उच्च न्यायालय ने स्वयं ध्यान देते हुए कहा कि, ‘सार्वजनिक संपत्ति की हानि को सहन नहीं किया जा सकता’ । ‘इस प्रकार से कोई भी बंद नहीं कर सकता । यह बंद अवैध है’, ऐसा उच्च न्यायालय ने कहा है ।
ध्यान दें, जिहादी आतंकवादी संगठन ‘पॉप्युलर फ्रंट ऑफ इंडिया’ पर बंदी लाना समय की मांग है !
गांधी और नेहरू परिवार ने हमेशा ही क्रांतिकारियों का अपमान किया है । इस कारण राहुल गांधी का इस कार्यक्रम के लिए अनुपस्थित रहना, यह कोई आश्चर्य की बात नहीं ! कांग्रेस को क्षमा मांगने की अपेक्षा प्रायश्चित के रुप में क्रांतिकारियों का सम्मान करने का प्रयास करना चाहिए !
दो दल अथवा संघटना में मतभेद हो सकते हैं, परंतु कांग्रेस कितनी निचले स्तर पर जाकर हिन्दुत्वनिष्ठ संगठनों से द्वेष करती है, यह स्पष्ट हो रहा है । ऐसा पक्ष जनहित क्या साधेगा ?
लव जिहाद के षड्यंत्र की बलि केवल हिन्दू युवतियां एवं महिलाएं ही नहीं, अपितु अनेक ईसाई महिलाएं भी चढ रही हैं । ऐसे तो सदैव ईसाइयों का तुष्टीकरण करनेवाले धर्मनिरपेक्षतावादी इस प्रकरण पर कुछ कहेंगे ?
केरल की साम्यवादी आघाडी (मोर्चा)सरकार के अधीन रहनेवाले चलचित्र मंडल इससे पृथक क्या करेंगे ? जो इतिहास है वह विश्व में उजागर हुआ ही है, वह अब चलचित्र के माध्यम से उजागर न होने हेतु दौडधूप करनेवाली केरल सरकार कितनी धर्मांधप्रेमी एवं हिन्दूविरोधी है, यह ध्यान में लें !
मुसलमानों द्वारा हिन्दुओं के त्योहारों में सहभाग लेने पर प्रसारमाध्यम उसका वृत्त देने के लिए अत्यधिक उत्साहित रहते हैं; लेकिन जब हिन्दुओं की धार्मिक फेरी पर मस्जिदों से आक्रमण किए जाते हैं, तब ये प्रसारमाध्यम ऐसे वृत्त देना टालते हैं !