‘मुस्लिम पर्सनल लॉ’ के अनुसार संपन्न विवाह ‘पॉक्सो’ कानून की परिधि से बाहर नहीं ! – केरल उच्च न्यायालय

मुसलमानों का ‘मुस्लिम पर्सनल लॉ’ के अंतर्गत संपन्न विवाह ‘पॉक्सो’ कानून की परिधि के बाहर नहीं है, ऐसा महत्त्वपूर्ण निर्णय देते हुए केरल उच्च न्यायालय ने खालिदूर रहमान (वय ३१ वर्ष) की जमानत याचिका अमान्य (खारिज) कर दी है ।

केरल में एक बलात्कार पीड़िता का यौन उत्पीड़न करने वाले पुलिस अधिकारी ने किया पलायन !

जनता की रक्षक नहीं, भक्षक है पुलिस ! ऐसे पुलिस रहनेवाला पुलिस बल महिलाओं की सुरक्षा क्या करेगा !

केरल की इस्लामी संस्था में पढाई जाती है गीता और उपनिषद !

यदि कट्टर मुसलमान अब इस इस्लामी संस्था के प्रशंसनीय पाठ्यक्रम पर हमला करना शुरू कर दें तो चौंकिए मत !

‘द केरल स्टोरी’ फिल्म पर प्रतिबंध लगाएं !’

केरल से हिन्दू एवं ईसाई युवतियों को ‘लव जिहाद’ के जाल में फंसाकर उनका धर्मांतरण कर उन्हें इस्लामिक स्टेट में भर्ती किए जाने की घटनाएं इससे पहले ही उजागर हुई हैं । उस विषय में कांग्रेस ने अभीतक मुंह क्यों नहीं खोला ?, यह वह बताएगी क्या ?

केरल में एन.आई.ए.के अधिकारी को जान से मारने की धमकी

पी.एफ.आई. पर प्रतिबंध लगा होने पर भी उसकी कार्यवाहियां चालू ही हैं, यही इसी धमकी से ध्यान में आता है । इस ओर केंद्र सरकार को गंभीरता से ध्यान देकर पी.एफ.आई. को जड से नष्ट करने के लिए अभी और कठोर होना चाहिए !

भगवान श्रीविष्णु के स्नान हेतु केरल में थिरूवनंतपुरम् विमानस्थल (हवाई अड्डा) ५ घण्टे के लिए बन्द ।

यहां प्रसिद्ध पद्मनाभ स्वामी मन्दिर के परम्परा अनुरूप प्रतिवर्ष दो बार विमान उडान की समय सारणीमें बदलाव किया जाता है ।

‘मुस्लिम पर्सनल लॉ’ के संदर्भ में निर्णय लेते समय न्यायालय को मौलानाओं पर विश्वास नहीं रखना चाहिए !- केरल उच्च न्यायालय

मुसलमान महिलाओं को भी तलाक देने का अधिकार होने पर न्यायालय निश्चित !

रामायण पर दिए हुए वक्तव्य को कांग्रेस के केरल प्रदेश अध्यक्ष के. सुधाकरन वापस लिया !

हिन्दुओं को मतपेटी के माध्यम से अब उन कांग्रेसियों को सबक सिखाना चाहिए जो सदा हिन्दुओं की धार्मिक भावनाओं को आहत करते रहे हैं !

कोई महिला यदि अंगप्रदर्शनवाले वस्त्र परिधान करे, तब भी पुरुषों को असभ्य बर्ताव की अनुमति नहीं मिल जाती ! – केरल उच्च न्यायालय

किसी भी प्रकार के वस्त्र परिधान करने का अधिकार संसद द्वारा प्रत्येक व्यक्ति को दिए गए स्वतंत्रता के अधिकार का एक भाग है । संविधान के अनुच्छेद २१ द्वारा प्रदत्त (प्राण और दैहिक स्वतंत्रता का संरक्षण), यह नागरिकाें का मूलभूत अधिकार है ।

कोजीकोड (केरल) में विद्यालय के बाहर जिहादी संगठनों के निदर्शन 

हिन्दुओं को ‘धर्म चार दीवारों के अंदर रखने’ का उपदेश देनेवाले प्रगतिशील, धर्मनिरपेक्षतावादी, कांग्रेसी आदि अब मुसलमानों को यह उपदेश क्यों नहीं दे रहे ? वे इस विषय पर चुप क्यों हैं ?