‘लिव इन रिलेशनशिप’ द्वारा भारत की विवाह संस्था परंपरा को वैधानिक रूप से ध्वस्त करने का प्रयास ! – इलाहाबाद उच्च न्यायालय

उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति सिद्धार्थ ने कहा कि इस देश में ‘लिव इन रिलेशनशिप’ विवाह संस्था कालबाह्य होने के उपरांत ही सामान्य मानी जाएगी । ऐसा अनेक विकसित देशों में हुआ है ।

सर्वोच्च न्यायालय ने मणिपुर सरकार से उत्तर मांगा

मणिपुर सरकार ने देश के संपादकों के संगठन ‘एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया’ के विरुद्ध अपराध प्रविष्ट किया है ।

सामूहिक बलात्कार एवं हत्या करने के प्रकरण में ३ धर्मांधों को फांसी का दंड

८ वर्ष पश्चात इसप्रकार के अपराधों में दंड होना, इसे अन्याय ही कहना होगा ! इतने जघन्य अपराध की सुनवाई तत्परता से होनी आवश्यक है !

देवेंद्र फडणवीस के विरुद्ध याचिका पर ८ सितंबर को सुनवाई !

अधिवक्ता सतीश उके ने फडणवीस के विरुद्ध याचिका प्रविष्ट की है । न्यायालय में दोनों पक्षों का वाद-विवाद (बहस) पूर्ण हुआ है ।

इससे आगे फांसी के दंड के लिए दया-याचिका पर राष्ट्रपति का निर्णय ही अंतिम रहेगा !

अपराधियों की दया याचिका पर राष्ट्रपति का निर्णय ही अंतिम रहेगा । राष्ट्रपति द्वारा लिए गए निर्णय को देश के किसी भी न्यायालय में चुनौती नहीं दी जा सकती ।

न्यायपालिका में भीषण भ्रष्टाचार है तथा न्यायाधीश अधिवक्ताओं द्वारा लिखित निर्णय ही सुनाते हैं  !

राजस्थान की कांग्रेस सरकार के प्रमुखमंत्री अशोक गेहलोत पर गंभीर आरोप  !

ज्ञानवापी की एक इंच भूमि भी हम नहीं देंगे !

‘‘मैं स्‍पष्‍ट कहना चाहता हूं कि सनातन धर्मी काशी में भोलेनाथ की एक इंच भूमि भी हम नहीं देंगे । यही हो सकता है कि मुसलमान (हिन्‍दुओंसे) क्षमा मांगें तथा अवैध नियंत्रण हटा लें ।’’ ऐसा स्‍पष्‍ट वक्‍तव्‍य पू. (अधिवक्ता) हरिशंकर जैनजी ने ‘एक्‍स’द्वारा ट्वीट कर किया ।

म. गांधी पर आपत्तिजनक टिप्पणी करने से अतिन दास इस पूर्व संपादक को बंदी बनाया और छोडा गया !

म. गांधी पर की गई टिप्पणी को न स्वीकारने वाली कांग्रेस स्वातंत्र्यवीर सावरकर का प्रत्येक कदम पर अपमान करती है, इस पर ध्यान दें !

सामाजिक माध्यमों पर किए आपत्तिजनक वक्तव्य का परिणाम भोगना ही पडेगा ! – उच्चतम न्यायालय

सामाजिक माध्यमों पर आपत्तिजनक, असभ्य और अपमानास्पद पोस्ट डालने वालों को दंड मिलना आवश्यक है । ऐसे लोग क्षमा मांग कर फौजदारी कार्यवाही से बच नहीं सकते ।