‘लिव इन रिलेशनशिप’ द्वारा भारत की विवाह संस्था परंपरा को वैधानिक रूप से ध्वस्त करने का प्रयास ! – इलाहाबाद उच्च न्यायालय

साथी को फंसाकर अन्य व्यक्ति से शारीरिक संबंध रखना, वर्तमान में इसे आधुनिक समाज का प्रतीक माना जा रहा है !

(‘लिव इन रिलेशनशिप’ अर्थात बिना विवाह किए साथ रहना)

प्रयागराज (उत्तर प्रदेश) – इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने एक प्रकरण में आदेश देते हुए कहा है ‘लिव इन रिलेशनशीप’ पद्धति स्वस्थ एवं सामाजिक स्थिरता के लक्षण माने नहीं जाएंगे । विवाह संस्था से जो सुरक्षा एवं स्थिरता प्राप्त होती है, वह ‘लिव इन रिलेशनशीप’ से मिल नहीं सकती है । कुछ दिन पश्चात जीवन साथी को बदलने की इस पद्धति को क्रूर कहना पडेगा । इसके द्वारा भारत की विवाह संस्था को वैधानिक रूप से ध्वस्त करने का प्रयास हो रहा है । न्यायालय ने आगे कहा, ‘लिव इन रिलेशनशिप’ में रहनेवाली एक महिला ने अपने साथी पर बलात्कार करने का आरोप लगाया है ।’ सुनवाई के लिए यह प्रकरण उच्च न्यायालय में प्रविष्ट किया गया था ।

आरोपी को प्रतिभू (जमानत)देते समय न्यायालय ने ऐसा कहा था ।

उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति सिद्धार्थ ने कहा कि इस देश में ‘लिव इन रिलेशनशिप’ विवाह संस्था कालबाह्य होने के उपरांत ही सामान्य मानी जाएगी । ऐसा अनेक विकसित देशों में हुआ है । उन देशों के समक्ष विवाह संस्था की रक्षा करना बडी समस्या है । भविष्य में अपने लिए यह बडी समस्या के रूप में निर्माण हो रही है । विवाह होने के पश्चात एवं ‘लिव इन रिलेशनशिप’ संबंधों में स्त्री अथवा पुरुष द्वारा अपने साथी को फंसाकर अन्य व्यक्ति के साथ शारीरिक संबंध रखना, यह आधुनिक समाज का लक्षण माना जा रहा है ।’ (‘आधुनिक’ का अर्थ क्या होता है, न्यायालय ने इसके द्वारा यह स्पष्ट कर दिया है, इसे ध्यान में लेना चाहिए ! – संपादक)

क्या है प्रकरण ?

उत्तर प्रदेश के सहारणपुर निवासी युवक एवं उसकी १९ वर्षीय प्रेमिका ‘लिव इन रिलेशनशिप’ में रह रहे थे । इस कारण युवती गर्भवती हो गई थी । ऐसा होते हुए भी युवती ने युवक के विरुद्ध पुलिस थाने में बलात्कार का परिवाद किया । उसने परिवाद में कहा है, ‘युवक ने विवाह करने का वचन दिया था; परंतु अब वह विवाह करने को तैयार नहीं है ।’ पश्चात पुलिस ने युवक को बंदी बनाया है ।