रूस में ‘एल्.जी.बी.टी.क्यू.’ आंदोलन पर प्रतिबंध !

रूस के सर्वाेच्च न्यायालय ने देश में ‘एल्.जी.बी.टी.क्यू.’ आंदोलन पर प्रतिबंध लगाया । रूस के कानून मंत्रालय ने प्रतिबंध लगाने की मांग की थी । न्यायालय ने इसे सहमति दर्शाई ।

प्रदूषण नियंत्रण; परंतु अपनी सुविधा के अनुसार !

त्योहार-उत्सव, चाहे वह किसी भी धर्म का क्यों न हो; परंतु उससे यदि प्रदूषण होता हो, तो उसे रोकने के लिए प्रदूषण नियंत्रण विभाग एवं सरकार का शुद्ध उद्देश्य होना चाहिए । केवल हिन्दू त्योहारों के समय ही प्रदूषण का ढिंढोरा पीटना तथा पूरे वर्ष में होनेवाले प्रदूषण की अनदेखी करना, इससे प्रदूषण नहीं रुकेगा ।

क्या ‘सी.बी.आई.’ के पास की पिस्तौल से हत्या हुई ?

वामपंथियों की हिन्दुओं के विरुद्ध वर्षाें से चली आ रही अनेक स्तरों की लडाई तथा उनके द्वारा की गई सहस्रों हत्याओं को देखते हुए उक्त ४ वामपंथियों की हत्या का ठीकरा हिन्दुओं के सर पर फोडने के उनके अथक प्रयास इस बडी जांच में समाहित इस एक प्रकरण से भी समझ में आएंगे ।

क्या मंदिरों में प्रातःसमय की जानेवाली आरती से शोर नहीं होता ? – उच्च न्यायलय का प्रश्न

अनेक घटनाओं में पुलिस कार्यवाही करती भी है; परंतु सत्य तो यह है कि जिस तत्परता से मंदिरों पर लगाए भोपुओं के विरुद्ध कार्यवाही होती है, उस तत्परता से मस्जिदों पर लगाए भोपुओं पर नहीं होती । नागरिकों की ऐसी अपेक्षा है कि न्यायालय इस बात की ओर भी ध्यान दें ।

अपने प्रेमी को अपनी ७ वर्ष की बेटी से बलात्कार की अनुमति देनेवाली महिला को ४० वर्षों के कारावास का दंड !

पीडिता एवं उसकी ११ वर्ष की बहन को शांत रहने के लिए धमकाया गया था । ये दोनों लडकियां भाग कर दादी के घर गईं  उसके पश्चात यह प्रकरण सामने आया है ।

उत्तर प्रदेश में हलाल प्रमाण पत्र पर बंदी के विरोध में इस्लामी संस्था न्यायालय जाएंगी !

आदेश को ‘जमीयत उलमा-ए-हिंद हलाल ट्रस्ट’ने न्यायालय में चुनौती देने का निर्णय लिया है । ट्रस्ट के मुख्य कार्यकारी अधिकारी नियाज अहमद ने बताया कि हलाल प्रमाणित उत्पादों को प्रतिबंधित करना अनुचित है ।

आंध्र प्रदेश के मंदिर में नौकरी करने वाले द्वारा ईसाई धर्म स्वीकार करने पर नौकरी से निकाला गया 

हिन्दुओं के मंदिरों में हिन्दू ही काम करने वाले होने चाहिए, इसका कोई विरोध नहीं करेगा !

पुलिस की सहायता लेकर कार्यवाही करें, अधिकार न छोडें ! – देहली उच्च न्यायालय

सभी तंत्र हाथ में होते हुए भी सार्वजनिक संपत्ति मस्जिद की ओर से गैरकानूनी ढंग से नियंत्रण में ली जाती है और महानगरपालिका निष्क्रिय रहती है, यह लज्जास्पद !

ज्ञानवापी की सर्वेक्षण रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए न्यायालय से १५ दिन का समय देने की याचिका 

भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) ने ज्ञानवापी की सर्वेक्षण रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए न्यायालय से १५ दिन का समय मांगा है । अत: १७ नवंबर की सुनवाई १८ नवंबर को होगी ।