लक्ष्मणपुरी (उत्तर प्रदेश) – उत्तर प्रदेश सरकार ने हलाल प्रमाणपत्र पर प्रतिबंध लगा दिया है । इस प्रतिबंध आदेश को ‘जमीयत उलमा-ए-हिंद हलाल ट्रस्ट’ने न्यायालय में चुनौती देने का निर्णय लिया है । ट्रस्ट के मुख्य कार्यकारी अधिकारी नियाज अहमद ने बताया कि हलाल प्रमाणित उत्पादों को प्रतिबंधित करना अनुचित है । ऐसे उत्पाद व्यक्तिगत तथा उत्पाद बनाने वालों की इच्छा पर निर्भर हैं । सरकार को केवल इतना देखना चाहिए कि ये उत्पाद ग्राहकों के लिए सही हैं अथवा नहीं । हलाल प्रमाणीकरण प्रक्रिया भारत के लिए निर्यात के उद्देश्य से तथा देश के भीतर वितरण के उद्देश्य से उत्पादकों की आवश्यकता के अनुसार हैं ।(किसी भी भारतीय उत्पादक को इसकी आवश्यकता होने का प्रश्न ही नहीं है, यह बात अब सरकार इन्हें स्पष्ट बता दे । अन्यथा ये लोग अपनी कथित धार्मिक मांगें मनवाने के लिए किसी भी स्तर पर जा सकते हैं, यह जान लें ! – संपादक)
हलाल प्रमाणित उत्पादों की विश्व में बहुत मांग है और भारतीय प्रतिष्ठानों के लिए ऐसे प्रमाणपत्र लेना अत्यंत आवश्यक है । यह जानकारी केंद्रीय वाणिज्य मंत्रालय को भी है । (यदि ऐसा है, तो केवल निर्यात करने के लिए हलाल प्रमाणीकरण होना चाहिए । भारतीयों ने ऐसे प्रमाणीकरण की मांग नहीं की है और ऐसी मांग किसी ने की भी है, तो उसका भी प्रखर विरोध होना चाहिए । इसी प्रकार, हल प्रमाणीकरण पर केवल उत्तर प्रदेश में प्रतिबंध लगा है । इसके निर्यात पर केंद्र सरकार ने अभीतक कोई प्रतिबंध नहीं लगाया है । – संपादक) ग्राहक हलाल उत्पादों का उपयोग कर रहे हैं और ऐसा होना भी चाहिए । इससे देश को आर्थिक लाभ हो रहा है ।