SANATAN PRABHAT EXCLUSIVE : श्री विठ्ठल के आभूषणों में छत्रपति शिवाजी महाराज, अहिल्याबाई होळकर तथा बाजीराव पेशवा के द्वारा अर्पित आभूषणों का था समावेश !

  • वंशपरंपरागत पंढरपूर में श्री विठ्ठल के अलंकार संभालने वाले ह.भ.प. बाळासाहेब बडवे ने दैनिक ‘सनातन प्रभात’को दी महत्त्वपूर्ण जानकारी !

  • मंदिर का सरकारीकरण करने से पूर्व न्यायालय के पास आभूषणों का नियमितरूप से हिसाब दिए जाने की भी मिली जानकारी !

पंढरपुर, २ जनवरी (संवाददाता) : श्री विठ्ठल को अर्पित आभूषणों में छत्रपति शिवाजी महाराज, पुण्यश्लोक अहिल्याबाई होळकर तथा बडे बाजीराव पेशवा द्वारा अर्पित आभूषणों का समावेश है । मंदिर का सरकारीकरण होने से पूर्व प्रतिवर्ष इन सभी आभूषणों का मूल्यांकन कर मुंबई उच्च न्यायालय को उसका ब्योरा दिया जाता था, यह महत्त्वपूर्ण जानकारी श्री विठ्ठल के आभूषणों का वंशपरंपरा से ध्यान रखनेवाले ह.भ.प. बाळासाहेब बडवे ने दैनिक ‘सनातन प्रभात’ के प्रतिनिधि को दी ।

आभूषणों की तलपट में प्रविष्टि न होने के कारण ये सभी आभूषण सुरक्षित हैं अथवा नहीं ?, इस विषय में आशंका जताई जा रही है ।

ह.भ.प. बाळासाहेब बडवे ने जानकारी देते हुए आगे कहा, ‘‘मंदिर का सरकारीकरण होने से ६० से ७० वर्ष पूर्व से मेरे पिता भगवान पंढरीनाथ बडवे के पास श्री विठ्ठल के अमूल्य कोष की धरोहर तथा उसकी चाबियां थीं । मेरी शिक्षा पूर्ण होने के उपरांत लगभग ४५ वर्ष पूर्व श्री विठ्ठल के आभूषणों का ध्यान रखने में मैं पिता की अनेक बार सहायता करता था । प्रत्येक दीपावली के त्योहार के दिन हम इन सभी आभूषणों का पूजन करते थे । वैसी परंपरा ही थी । मंदिर के कामकाज से बडवे, उत्पात एवं सेवादारों को बहिष्कृत किए जाने से लेकर इन आभूषणों के साथ हमारा बिल्कुल भी संबंध नहीं रहा । वंशपरंपरा से चली आ रही श्री विठ्ठल के आभूषणों की व्यवस्था जबतक हमारे पास थी, तबतक उसमें किसी प्रकार का दोष अथवा त्रुटियां नहीं थी । उसका कारण यह था कि महाराष्ट्र सरकार की ओर से आभूषणों की पडताल करने हेतु पंढरपुर देवस्थान समिति ने जिस मंडल की नियुक्ति की थी, उसमें विद्वान लोगों तथा कुछ सर्राफों का समावेश था । वे प्रतिवर्ष धूप के काल में प्रत्येक आभूषण की पडताल कर उसका मूल्य निर्धारण करते थे । उसके उपरांत इसका ब्योरा मुंबई उच्च न्यायालय को भेजा जाता था । जबतक मैं इस कार्य में सम्मिलित था, तबतक न्यूनतम २५ ब्योरे मुंबई उच्च न्यायालय को प्रस्तुत किए जाने का मुझे स्मरण है । ‘वो आभूषण लगभग २०० से २५० करोड रुपए मूल्य के होंगे ।’, ऐसा अनुमान व्यक्त किया जाता था । इस समिति ने कभी भी आभूषणों के विषय में आपत्ति नहीं जताई थी । विशेषज्ञ सर्राफों से उनकी गणना कर लेते समय इन आभूषणों के वजन में कभी भी थोडा भी अंतर नहीं आया । हमने इतनी प्रामाणिकता से, आत्मनिष्ठा से तथा श्री विठ्ठल की प्रति की श्रद्धा के साथ उन आभूषणों की पारदर्शिता से व्यवस्था रखी थी ।’’

ऐसे हैं श्री विठ्ठल के मूल्यवान आभूषण !

ह.भ.प. बाळासाहेब बडवे ने इस विषय में कहा, ‘‘७० से ८० अत्यंत उच्च कोटि का तथा पारदर्शी लफ्फा लगभग ६० से ७० लाख रुपए मूल्य का होगा । उसके नीचे जो पाचू था, उसका मूल्य उस समय विशेषज्ञों ने १० से ११ लाख रुपए बताया था । सोने की तुलसी की एक माला, साथ ही बडे बाजीराव पेशवे द्वारा अर्पित कंठी भी अत्यंत मूल्यवान थी । उस समय कुछ श्रद्धालुओं ने एकत्रित होकर लगभग ढाई किलो सोने की पगडी अर्पित की थी । एक टोप दिया था । भक्तों द्वारा अर्पित सोने से श्री विठ्ठल के लिए एक पवित्र वस्त्र तैयार किया गया था । इसके साथ ही १ तुरा तथा ५ कंठियां थीं । सोने के पैजन, सोने के तोडे तथा सोने का करदोडा है । छोटे हिरों को पिरोकर तैयार किया हुआ मत्स्यजोड, किरीट, कुंडल एवं जिरेटोप का भी इन आभूषणों में समावेश था ।’’

संपादकीय भूमिका 

अब सरकार को ये आभूषण वैसे ही हैं न, इसकी आश्वस्तता कर श्रद्धालुओं को उसकी जानकारी देनी चाहिए !