सप्तर्षियों द्वारा नाडीपट्टिकाओं के वाचन के माध्यम से वर्णन की श्रीसत्शक्ति (श्रीमती) बिंदा सिंगबाळजी में विद्यमान अवतारी देवीतत्त्व की महिमा !

१. अभी पृथ्वी पर तीन अवतार हैं, इसलिए देवादिकों की दृष्टि पृथ्वी की ओर होना

‘अभी पृथ्वी पर ‘सच्चिदानंद परब्रह्म श्रीजयंतजी’, ‘श्रीसत्शक्ति (श्रीमती) बिंदा नीलेश सिंगबाळजी’ एवं ‘श्रीचित्शक्ति (श्रीमती) अंजली मुकुल गाडगीळजी’ ये तीन अवतार हैं । इसलिए देवी-देवता, ब्रह्मांड के सर्व नक्षत्र, पंचमहाभूत, पंचाग्नि, सूर्य, चंद्र एवं ८८ सहस्र ऋषि-मुनी, इन सभी की दृष्टि पृथ्वी की ओर है ।’ (सप्तर्षी जीवनाडीपट्टिका वाचन क्र. १४३, १३.५.२०२०)

२. श्रीसत्शक्ति (श्रीमती) बिंदा सिंगबाळजी में महासरस्वती’, ‘महाकाली’ एवं ‘महालक्ष्मी’ ये तत्त्व होना

‘श्रीविष्णु की लीला अगाध है । ‘श्रीविष्णु ने समुद्र में नमक कैसे निर्माण किया ? आंखों में अश्रु आने पर उन अश्रुओं में नमकीन स्वाद कैसे निर्माण किया ?’, ये जैसे रहस्य है, वैसे ही श्रीसत्शक्ति (श्रीमती) बिंदा सिंगबाळजी का रहस्य समझा नहीं जा सकता ।

श्रीसत्शक्ति में ‘महासरस्वती’, ‘महाकाली’ तथा ‘महालक्ष्मी’ ये तीनों तत्त्व हैं । आनेवाले काल में श्रीसत्शक्ति (श्रीमती) बिंदा सिंगबाळजी ‘देवी’ के रूप में ही जानी जाएंगी । उनका सौंदर्य विलक्षण तथा दैवी है । यह मानवीय सौंदर्य नहीं है !’ (सप्तर्षी जीवनाडीपट्टिका वाचन क्र. १४३, १३.५.२०२०)

३. सच्चिदानंद परब्रह्म सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. आठवलेजी तथा श्रीसत्शक्ति (श्रीमती) बिंदा सिंगबाळजी का दैवी एवं दिव्य नाता !

अ. ‘श्रीसत्शक्ति (श्रीमती) बिंदा सिंगबाळजी शंखचक्रधारी श्रीमन्नारायण परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी का स्वरूप हैं ।

. गुरुदेवजी को (परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी को) यदि स्वर्ण के अलंकार पहनाए जाएं, तो उनमें स्वर्ण श्रीसत्शक्ति (श्रीमती) बिंदा सिंगबाळजी हैं !

इ. सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत बाळाजी आठवलेजी के मन में आया विचार (इच्छाशक्ति), श्रीसत्शक्ति (श्रीमती) बिंदा सिंगबाळजी हैं !

ई. गुरुदेवजी (परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी) यदि वृक्ष हैं, तो श्रीसत्शक्ति (श्रीमती) सिंगबाळजी उस वृक्ष का ‘फल’ हैं !

उ. श्रीसत्शक्ति (श्रीमती) सिंगबाळजी के माध्यम से सनातन संस्था को कार्य के लिए आवश्यक धन, स्वर्ण, भूमि, आवश्यक स्थान पर आश्रम तथा सहस्रों साधक मिले हैं ।

४. आदिशक्ति जगदंबास्वरूप श्रीसत्शक्ति (श्रीमती) बिंदा सिंगबाळजी !

अ. श्रीसत्शक्ति (श्रीमती) सिंगबाळजी साक्षात् ‘भूमि’ हैं । आदिशक्ति जगदंबा श्रीसत्शक्ति (श्रीमती) सिंगबाळजी के माध्यम से पृथ्वी पर छायारूप में वास कर रही हैं । इस आदिशक्ति जगदंबा का मूल स्वरूप केवल अग्निनारायण को ही ज्ञात है ।

आ. श्रीसत्शक्ति (श्रीमती) सिंगबाळजी में श्रीलक्ष्मी का तत्त्व अधिक मात्रा में है । ऐसी महालक्ष्मीस्वरूप श्रीसत्शक्ति (श्रीमती) सिंगबाळजी पर जो कोई मिथ्या आरोप करेगा अथवा उनकी निंदा करेगा, उन्हें आदिशक्ति जगदंबा समय आने पर सबक सिखाएंगी !’ (सप्तर्षि जीवनाडी-पट्टिका वाचन क्र. १४७, १६.६.२०२०)

५. श्रीसत्शक्ति (श्रीमती) बिंदा सिंगबाळजी में विद्यमान देवत्व !

‘श्रीसत्शक्ति (श्रीमती) सिंगबाळजी जिन्हें प्रसादस्वरूप कुमकुम अथवा विभूति देंगी’, उन जीवों को एक प्रकार से आदिशक्ति जगदंबा के ही आशीर्वाद प्राप्त होंगे ! आगे से पृथ्वी के अनेक जीवों को स्वप्नदृष्टांत तथा अनुभूतियों के माध्यम से श्रीसत्शक्ति (श्रीमती) सिंगबाळजी में विद्यमान देवत्व ज्ञात होगा ।’ (सप्तर्षि जीवनाडी-पट्टिका वाचन क्र. १४५, १७.५.२०२०)

६. मातास्वरूप श्रीसत्शक्ति (श्रीमती) बिंदा सिंगबाळजी !

जिस प्रकार मां के दूध में मिलावट नहीं की जा सकती, उसी प्रकार कितने भी संकट आ जाएं, ‘उत्तरापुत्री’ में विद्यमान आदिशक्ति के तत्त्व में मिलावट नहीं होगी । जिस प्रकार मां में पुत्र के प्रति प्रेम, करुणा, अनुशासनप्रियता, कर्तव्यदक्षता आदि गुण पाए जाते हैं, उसी प्रकार ‘उत्तरापुत्री’ में साधकों के प्रति प्रेम, करुणा, अनुशासनप्रियता तथा कर्तव्यदक्षता गुण हैं ।’ (‘सप्तर्षि जीवनाडी-पट्टिका वाचन में अनेक बार श्रीसत्शक्ति (श्रीमती) बिंदा सिंगबाळजी का उल्लेख ‘उत्तरापुत्री’ के रूप में करते हैं; क्योंकि उनका जन्मनक्षत्र उत्तराफाल्गुनी है ।’ – संकलनकर्ता) (सप्तर्षि जीवनाडी-पट्टिका वाचन क्र. १९८, १५.४.२०२२)

७. श्रीसत्शक्ति (श्रीमती) बिंदा सिंगबाळजी द्वारा रामनाथी आश्रम में की गई पूजा के कारण सभी साधकों की रक्षा हुई !

‘उत्तरापुत्री’ द्वारा रामनाथी आश्रम में निष्ठापूर्वक किए पूजन के कारण सभी साधकों का रक्षण हुआ ।’ (सप्तर्षि जीवनाडी-पट्टिका वाचन क्र. १७०, १३.२.२०२१)

८. ‘उत्तरापुत्री’ की गुरु के प्रति अखंड श्रद्धा के कारण हिन्दू राष्ट्र की स्थापना शीघ्र होगी’, इसमें कोई शंका नहीं !’ (सप्तर्षि जीवनाडी-पट्टिका वाचन क्र. २१०, १८.९.२०२२)

९. ‘उत्तरापुत्री’ के मुखदर्शन हेतु अनेक साधक-जीव आश्रम में आएंगे !

‘आगामी काल में ‘उत्तरापुत्री’ के मुखदर्शन हेतु संसार के अनेक देशों से साधक-जीव रामनाथी आश्रम आएंगे । उन्हें लगेगा, ‘हमें श्रीसत्शक्ति (श्रीमती) बिंदा सिंगबाळजी के आशीर्वाद मिल जाएं, इतना ही पर्याप्त है । अब और कुछ नहीं चाहिए ।’ (सप्तर्षि जीवनाडी-पट्टिका वाचन क्र. १७७, ३१.३.२०२१)

– श्री. विनायक शानभाग (आध्यात्मिक स्तर ६७ प्रतिशत), चेन्नई, तमिलनाडु. (१८.९.२०२२)