असाध्य बीमारी में भी अंतिम श्वास तक लगन से साधना करनेवाली सनातन की दिवंगत साधिका स्व. (श्रीमती) प्रमिला केसरकरजी एवं स्व. (श्रीमती) शालिनी मराठेजी ने प्राप्त किया संतपद !
मृत्यु से पूर्व कठिन शारीरिक स्थिति में भी ईश्वरभक्ति के आधार पर स्थिर रहना, भगवान का अस्तित्व अनुभव करते हुए मिलने आनेवाले साधकों को भी आनंद देना, उनकी विशेषता थी ।