असाध्य बीमारी में भी अंतिम श्वास तक लगन से साधना करनेवाली सनातन की दिवंगत साधिका स्व. (श्रीमती) प्रमिला केसरकरजी एवं स्व. (श्रीमती) शालिनी मराठेजी ने प्राप्त किया संतपद !

मृत्यु से पूर्व कठिन शारीरिक स्थिति में भी ईश्वरभक्ति के आधार पर स्थिर रहना, भगवान का अस्तित्व अनुभव करते हुए मिलने आनेवाले साधकों को भी आनंद देना, उनकी विशेषता थी ।

वाई (जनपद सातारा) की पू. (श्रीमती) मालती नवनीतदास शहा (आयु ८३ वर्ष) के संतसम्मान समारोह का भाववृत्तांत !

मूल पुणे की तथा वर्तमान में वाई स्थित श्रीमती मालती नवनीतदास शहा (आयु ८३ वर्ष) सनातन की १२० वीं व्यष्टि संतपद पर विराजमान हुईं, सदगुरु स्वाती खाड्ये ने ४ अगस्त २०२२ को सभी को यह शुभ समाचार दिया । उपस्थित सभी ने इस समारोह के भावानंद को अनुभव किया ।

साधकों को अंतर्मुख कर उनकी व्यष्टि एवं समष्टि साधना को जोडकर निरंतर भावावस्था में रहनेवाले सनातन के ७५ वें समष्टि संत पू. रमानंद गौडा !

पू. रमानंद अण्णा साधकों के मन पर गुरुदेवजी की महानता अंकित करते हैं । ‘साधक मनुष्य जन्म को सार्थक करें’, इसलिए वे साधकों को निरंतर अंतर्मुख कर उनकी व्यष्टि एवं समष्टि साधना का नियोजन करके देते हैं । वे साधकों को निरंतर आनंदी एवं उत्साही रखते हैं ।

सदैव कृतज्ञता भाव में रहनेवालीं और सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत आठवलेजी के प्रति अपार भाव रखनेवालीं जयपुर की पू. (श्रीमती) गीतादेवी खेमका !

पू. खेमका दादी का सब पर अत्यधिक प्रेम है तथा वह उनके आचरण से दिखाई देता है । वे साधक अथवा अपने परिजनों से ही प्रेम नहीं करतीं, अपितु वे सबसे प्रेम करती हैं ।

प्रेमभाव एवं स्थिरता से युक्त श्रीमती मालती नवनीतदास शहा हुईं संतपद पर विराजमान !

इस अवसर पर सद्गुरु स्वाती खाडयेजी ने पू. (श्रीमती) मालती शहाजी को सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. आठवलेजी का छायाचित्र, साथ ही शॉल एवं श्रीफल प्रदान कर उन्हें सम्मानित किया ।

पू. (कै.) श्रीमती सूरजकांता मेनराय ने देहत्याग करने के पश्चात उनका शिवात्मा वैंकुठ में जाना तथा उनमें स्थित सीखने की वृत्ती के कारण उन्हें पृथक लोगों में सूक्ष्म से प्रवास करने की सिद्धी प्राप्त होना !

आषाढ कृष्ण चतुर्दशी (२७.७.२०२२) के दिन सनातन की ४५ वी संत पू. (कै.) श्रीमती सूरजकांता मेनराय की जयंती है । उस निमित्त ६४ प्रतिशत आध्यात्मिक स्तर की कु. मधुरा भोसले को ध्यानमें आएं उनके सूत्र यहां देखेंगे ।

समष्टि कार्य की लगन रखनेवाले हिन्दू जनजागृति समिति के धर्मप्रचारक पू. नीलेश सिंगबाळजी (आयु ५५ वर्ष) सद्गुरु पद पर विराजमान !

गुरुकृपायोगानुसार साधना कर पू. नीलेश सिंगबाळजी ने सद्गुरु पद प्राप्त किया । इस समय परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी की एक आध्यात्मिक उत्तराधिकारिणी और सद्गुरु नीलेश सिंगबाळजी की पत्नी श्रीसत्शक्ति (श्रीमती) बिंदा सिंगबाळजी ने उनका सम्मान किया ।

भगवान शिव को प्रिय श्रावण मास में सद्गुरु डॉ. पिंगळेजी एवं पू. मेनरायजी का जन्म होना…

सनातन के १४ वें संत सद्गुरु डॉ. चारुदत्त पिंगळेजी का जन्मदिन श्रावण शुक्ल प्रतिपदा (२९ जुलाई २०२२) एवं ४६ वें संत पू. मेनरायजी का जन्मदिन श्रावण शुक्ल पंचमी (नागपंचमी, २ अगस्त २०२२) को है । जन्मदिन निमित्त सनातन परिवार की ओर से कोटि-कोटि प्रणाम !

वाराणसी में संस्कृत के विद्वान श्री. विद्यावाचस्पति त्रिपाठी ६१ प्रतिशत आध्यात्मिक स्तर प्राप्त कर हुए जन्म-मृत्यु के चक्र से मुक्त

मूल वाराणसी के धर्माभिमानी एवं संस्कृत भाषा एवं धर्मशास्त्र के गहन अध्ययनकर्ता श्री. विद्यावाचस्पति त्रिपाठी (आयु ८० वर्ष) ने ९ जून २०२२ को ६१ प्रतिशत आध्यात्मिक स्तर प्राप्त करने की घोषणा, देहली में उनके निवासस्थान पर की गई । यह घोषणा सनातन के संत पू. संजीव कुमार ने की ।

हलाल मांस का सेवन करने से हिन्दुओं की धर्मनिष्ठा और राष्ट्रभक्ति न्यून होगी ! – पू. डॉ. युधिष्ठिरलाल महाराजजी, शदाणी दरबार

हिन्दू जनजागृति समिति, अखिल भारतीय हिन्दू स्वाभिमान सेना और शदाणी सेवा मंडल, रायपुर के संयुक्त आयोजन में यहां के शदाणी दरबार तीर्थ में ‘हलाल प्रमाणपत्र – एक षड्यंत्र’ विषय पर एक विचारगोष्ठी का आयोजन किया गया था ।