पूर्णावतार भगवान श्रीकृष्‍ण की युद्धनीति !

‘भगवान श्रीकृष्‍ण ने उनके संपूर्ण जीवन में भिन्न-भिन्न युद्धनीतियों का उपयोग किया । इस युद्धनीति की जानकारी देनेवाला लेख यहां दे रहे हैं

हिन्दू राष्ट्र हेतु संगठन : हिन्दू कार्यकर्ताओं के लिए आधारस्तंभ !

लोकमान्य टिळक, सरदार वल्लभभाई पटेल, वीर सावरकर, लाला लाजपत राय, न्यायाधीश रानडे, देशबंधु चित्तरंजन दास जैसे अनेक अधिवक्ताओं ने उस काल में स्वतंत्र भारत की लडाई हेतु प्रयास किए तथा भारत को स्वतंत्रता दिलाई ।

सत्य के निकट ले जानेवाला, अर्थात ही सत्-चित्-आनंद देनेवाला एकमात्र हिन्दू धर्म !

हिन्दू धर्म क्या है ?, इस विषय में विश्लेषण करनेवाला लेख,.. ‘हिन्दुओं का तत्त्वज्ञान अद्वैत अर्थात ईश्वर एवं मैं एक ही हैं’, इस अत्युच्च स्तर का !

नाथपंथी तत्त्वज्ञान से होते हैं सामाजिक समरसता के दर्शन !

नाथपंथी साधना-उपासना से आनंद की प्राप्ति कर लें । नाथ आज भी सम्मेलनों के माध्यम से संवाद कर रहे हैं यही इस संप्रदाय की विशेषता है ! संजीवन समाधि लेकर भी नाथ कार्यरत हैं, इसका यह प्रतीक है ! अवधूत अवस्था में होने के कारण उनके कार्य की कक्षा बढने की यह प्रत्यक्षानुभूति है !

देश में नए सिरे से लागू ‘भारतीय न्याय संहिता’, ‘भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता’तथा ‘भारतीय साक्ष्य अधिनियम’, इन कानूनों का स्वरूप एवं विशेषताएं !

कानून कितने अच्छे, सक्षम तथा कठोर हैं, इसका कोई महत्त्व नहीं है, अपितु उनके कार्यान्वयन की व्यवस्था कैसी है, इसका महत्त्व है । डॉ. आंबेडकर ने भी संविधान के विषय में यही कहा था कि संविधान को चलानेवाले कैसे हैं ?’, इसे ध्यान में लेना पडेगा ।’

मुझमें ‘सुराज्य’ कब आएगा ?

भगवान द्वारा निर्मित चैतन्यदायक एवं सुंदर सृष्टि का लाभ उठाने हेतुभगवान के द्वारा निर्मित नियमरूपी धर्मका आचरण कर प्रत्येक व्यक्ति को स्वयं में ही ‘सुराज्य’ लाना चाहिए,यह निश्चित है !

हिन्दू राष्ट्र की स्थापना के कार्य में महिलाओं का योगदान बडा होनेवाला है !

महिलाओं के बिना हिन्दू राष्ट्र की स्थापना असंभव है ! भारत में प्राचीन काल से ही प्रत्येक कार्य में स्त्रियों का योगदान बहुत बडा रहा है । सभ्यता, संस्कृति तथा हिन्दुत्व की दृष्टि से स्त्रियों का बडा महत्त्व है ।

नागपंचमी पर नागपूजन का महत्त्व

नागपंचमी के दिन कुछ न काटें, न तलें, चूल्हे पर तवा न रखें इत्यादि संकेतों का पालन बताया गया है । इस दिन भूमिखनन न करें ।

चातुर्मास काल में साधना का महत्त्व

परमार्थ हेतु पोषक तथा ईश्वर के गुणों को स्वयं में अंतर्भूत करने हेतु नामजप, सत्संग, सत्सेवा, त्याग, प्रीति इत्यादि सभी कृत्य करना, साथ ही गृहस्थी एवं साधना के लिए मारक तत्त्वों का अर्थात षड्‌रिपुओं का निषेध करना, चातुर्मास के ये दो मुख्य उद्देश्य हैं ।

‘वैश्विक हिन्दू राष्ट्र महोत्सव’ में उपस्थित हिन्दुत्वनिष्ठों ने किया रामनाथी, गोवा के सनातन आश्रम का अवलोकन !

२४ से ३० जून इस कालावधी में गोवा मे हुए ‘वैश्विक हिन्दू राष्ट्र महोत्सव’ में उपस्थित हिन्दुत्वनिष्ठों ने रामनाथी, गोवा के सनातन आश्रम को भेट दी |