पूजन : नागपंचमी (श्रावण शु. ५) के दिन हलदी से अथवा रक्तचंदन से एक पीढे पर नवनागों की आकृतियां बनाते हैं एवं उनकी पूजा कर दूध एवं खीलों का नैवेद्य चढाते हैं । नवनाग पवित्रकों के नौ प्रमुख समूह हैं । पवित्रक अर्थात सूक्ष्मातिसूक्ष्म दैवी कण (चैतन्यक) ।
निषेध : नागपंचमी के दिन कुछ न काटें, न तलें, चूल्हे पर तवा न रखें इत्यादि संकेतों का पालन बताया गया है । इस दिन भूमिखनन न करें ।
संदर्भ : सनातन का ग्रंथ ‘त्योहार मनानेकी उचित पद्धतियां एवं अध्यात्मशास्त्र’