स्पेन में गत ८ दशकों में चर्च में ४ लाख लडकियों का लैंगिक शोषण !

माद्रिद (स्पेन) –  स्पेन के राष्ट्रीय लोकपाल एंजल गॅबिलोंडो ने एक ब्योरे के अनुसार जानकारी दी है कि में स्पेन में वर्ष १९४० से अब तक रोमन कैथलिक चर्च में २ लाख से भी अधिक अव्यस्क और प्रौढ लडकियां पादरियों द्वारा किए गए लैंगिक शोषण की बली चढी हैं । इसके साथ ही चर्च में सामान्य सदस्यों द्वारा ४ लाख लडकियां लैंगिक शोषण की बलि चढने की जानकारी इसमें दी गई है । इस ब्योरे में पीडितों को हानिभरपाई देने के लिए राष्ट्रीय निधि देने का आवाहन करते हुए इसे स्पेन की संसद में प्रस्तुत किया गया है । मार्च २०२२ में स्पैनिश संसद ने चर्च पर लैंगिक शोषण के आरोपों की छानबीन करने के लिए समिति की स्थापना की ।

१. इस शोषण के संदर्भ में एक आयोग ने ८ सहस्र लोगों से यह जानकारी ली । इसमें से ०.६ प्रतिशत लोगों को उनके चर्च में लैंगिक शोषण होने की स्वीकृति दी । स्पेन की लोकसंख्या ३ करोड ९० लाख होने से उसमें ०.६ प्रतिशत, अर्थात यह प्रमाण २ लाख लोग, इतना होता है ।

२. अनेकों ने बताया कि बचपन में चर्च में जाने पर पादरियों द्वारा उनका शोषण किया गया था । पादरियों के अतिरिक्त अनेकों ने चर्च के अन्य सदस्यों पर भी आरोप किया । इन सदस्यों द्वारा किए गए शोषण की प्रतिशतता १.१३ प्रतिशत, अर्थात ४ लाख है ।

३. वर्ष २०२० में कुछ परिवादों पर आधारित जांच में लैंगिक शोषण के ९२७ प्रकरण सामने आए हैं । चर्च ने कहा है कि लैंगिक शोषण रोकने के लिए बिशप के (वरिष्ठ पादरियों का) अधिकार के प्रदेश में बाल संरक्षण कार्यालय स्थापित किए हैं ।

४. वर्ष २०१८ मेें, स्पेन के एक दैनिक द्वारा किए गए अन्वेषण में वर्ष १९२७ में लैंगिक शोषण का २ सहस्र २०६ प्रकरण उजागर हुए, जिसमें १ सहस्र ३६ आरोपियाें की पहचान हाे गई ।

संपादकीय भूमिका 

‘चर्च अर्थात लैंगिक शोषण का स्थान’ और ‘पादरी अर्थात वासनांध व्यक्ति’, ऐसी प्रतिमा किसी के मन में निर्माण हो रही हो, तो इसमें गलत क्या है ? ऐसी घटनाओं के विरोध में जगभर के ईसाई खुले आम विरोध करते हुए क्यों नहीं दिखाई देते ?