तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी का वक्तव्य प.पू. सरसंघचालक डॉ. मोहनजी भागवत ने सार्वजनिक कार्यक्रम में उजागर किया !
(‘घरवापसी’ अर्थात धर्मान्तरित हिन्दुओं को पुन: स्वधर्म में लाना)

इंदौर (मध्यप्रदेश) – प्रणव मुखर्जी ने राष्ट्रपति रहते समय संघ के ‘घर वापसी’ कार्यक्रम की प्रशंसा की थी तथा कहा था कि यदि यह ‘घरवापसी’ कार्यक्रम न होता, तो कुछ आदिवासी समुदाय देशद्रोही बन सकते थे । प.पू. सरसंघचालक डॉ. मोहनजी भागवत ने यहां देवी अहिल्याबाई पुरस्कार वितरण समारोह में बोलते हुए यह जानकारी दी ।
“Without RSS’ Ghar Wapsi initiative, tribals could have turned against the nation!”
H.H. Sarsangachalak Dr. Mohan Bhagwat reveals former President Pranab Mukherjee’s statement at a public event
मोहन भागवत pic.twitter.com/omhwpC0IM3
— Sanatan Prabhat (@SanatanPrabhat) January 15, 2025
प.पू. सरसंघचालक डॉ. भागवत ने आगे कहा कि,
१. हम जब प्रथम बार ही प्रणव मुखर्जी से भेंट करने गए थे, तब संसद में ‘घर वापसी’ को लेकर प्रचंड कोलाहल चल रहा था । उस समय प्रणव मुखर्जी ने मुझसे पूछा था कि धर्मपरिवर्तन करनेवाले आदिवासियों का क्या होता है ।’ इस पर मैंने कहा कि वे ईसाई बनते हैं,ताे इस पर मुखर्जी ने कहा कि, ‘नहीं, वे देशद्रोही बनते हैं । इस घरवापसी कार्यक्रम से ३० प्रतिशत आदिवासी समाज अपने मूल रूप में लौट आया, यह अच्छी बात है, ऐसा भी मुखर्जी ने कहा था ।
२. यदि धमपरिवर्तन स्वयंप्रेरणा से हुआ, तो उसमें कुछ भी अयोग्य नहीं है । हमारा विश्वास है कि सभी प्रकार की उपासना पद्धतियां योग्य हैं तथा प्रत्येक को अपनी उपासना पद्धति का चयन करने का अधिकार होना चाहिए। परंतु जब धमपरिवर्तन प्रलोभन देकर अथवा हठपूर्वक किया जाता है, तब उसका उद्देश्य आध्यात्मिक प्रगति नहीं, अपितु प्रभाव बढाने हेतु लोगों को उनकी जड से विरक्त करना होता है ।