सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. आठवलेजी के ब्रह्मोत्सव में महर्षि अध्यात्म विश्वविद्यालय की साधिकाओं ने नृत्य द्वारा श्रीविष्णुस्वरूप गुरुदेवजी की आराधना की । इस अवसर पर ‘अच्युताष्टकम्’ के बोल पर श्री महाविष्णु के दशावतार, गरुडारूढ चतुर्भुज श्रीविष्णु साकार किए । विशेष बात यह कि शेषशायी श्रीविष्णु साकारती साधिकाओं ने नृत्य के द्वारा सच्चिदानंद परब्रह्म गुरुदेवजी के वर्ष २०१८ में संपन्न जन्मोत्सव की स्मृतियां जागृत की । उस वर्ष शेषशायी श्रीविष्णुरूप में स्थित सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. आठवलेजी के चरणों में श्रीसत्शक्ति (श्रीमती) बिंदा सिंगबाळजी एवं श्रीचित्शक्ति (श्रीमती) अंजली गाडगीळजी ने पुष्पार्चन किया था । साधिकाओं ने अत्यंत लयबद्ध पद्धति से उस दृश्य को साकार किया ।
श्रीविष्णुरूप सहित इस वर्ष की नृत्य-आराधना की विशेषता थी बालकृष्ण एवं यशोदा मैया की सुंदर लीलाएं ! साधिकाओं ने इतनी तन्मयता से वो लीलाएं साकार कीं कि कार्यस्थल पर मानो गोकुल अवतरित हुआ । इस नृत्य का संयोजन महर्षि अध्यात्म विश्वविद्यालय की नृत्य अध्येता श्रीमती सावित्री वीरेंद्र इचलकरंजीकर ने किया था ।
ब्रह्मोत्सवतिरुपति में विगत १ सहस्र वर्षाें से प्रतिवर्ष भूदेवी एवं श्रीदेवी सहित श्री वेंकटेश्वर देवता का ९ दिन का उत्सव मनाया जाता है, जिसे ‘ब्रह्मोत्सव’ कहते हैं । इस उत्सव में पूजन-अर्चन, गायन एवं वादन के द्वारा रथ पर विराजमान श्री महाविष्णु की स्तुति गाई जाती है ! |