कश्मीर घाटी के कश्मीरी हिन्दू कर्मचारियों के स्थानांतरण के लिए अब भी प्रदर्शन शुरू !
अपने प्राणों की रक्षा हेतु इसप्रकार के प्रदर्शन के पश्चात भी सरकारी यंत्रणाओं से प्रतिसाद न मिलना लज्जाजनक !
अपने प्राणों की रक्षा हेतु इसप्रकार के प्रदर्शन के पश्चात भी सरकारी यंत्रणाओं से प्रतिसाद न मिलना लज्जाजनक !
कश्मीर में १९९० से केवल हिन्दुओं को लक्ष्य बनाकर उन्हें मार डाला जा रहा है और उन्हें भागने के लिए विवश किया जा रहा है, यह जिहाद नहीं है तो क्या है ?
कश्मीर में चाहे कितने भी आतंकवादियों को मार गिराओ, परंतु पाकिस्तान में उनकी निर्मिति का कारखाना शुरू ही रहने के कारण, कश्मीर का आतंकवाद पाक को नष्ट किए बिना समाप्त नहीं होगा, यही वास्तविकता है !
हिन्दुओं को लगता है कि केंद्र में विगत ८ वर्षाें से भाजपा की सरकार होते हुए एवं धारा ३७० हटाने के पश्चात भी कश्मीर में आज भी हिन्दू असुरक्षित ही हैं, यह वस्तुस्थिति है और कश्मीरी हिन्दुओं का क्रोध आवश्यक है !
कश्मीरी हिन्दुओं पर हुए अत्याचार ‘वंशसंहार’ के अंतर्गत आने चाहिए । कश्मीरी हिन्दुओं पर अनगिनत अत्याचार करनेवालों पर अपराध प्रविष्ट कर उनपर कानूनी कार्यवाही करने के लिए न्यायिक पंच की नियुक्ति की जाए । आदि अनेक मागें की गई ।
‘सनातन संस्था सेवा’ द्वारा आयोजित होली मिलन समारोह में हिन्दू जनजागृति समिति के वाराणसी के समिति सेवक श्री. राजन केशरी को मुख्य अतिथि के रूप में बुलाकर सम्मान किया गया ।
क्या अभी तक असम के किसी मुख्यमंत्री ने इतनी कठोरता से मुसलमानों को सुनाया था ? असम के हिन्दुओं की रक्षा करने के लिए सरमा कठोर कदम उठाएं, यही हिन्दुओं की भावना है !
केवल हाथ जोडकर क्षमा मांगने से कुछ नहीं होगा और कश्मीरी मुसलमान ऐसी क्षमा मांगेंगे, इसकी भी संभावना नहीं है । इसलिए अब केंद्र सरकार को ही अब प्रधानता लेकर इन अत्याचारों में संलिप्त मुसलमानों को दंड मिलने हेतु प्रयास करने चाहिए, तभी जाकर वास्तव में कश्मीरी हिन्दुओं को न्याय मिलेगा !
३२ वर्ष पूर्व भारत के एक राज्य में हिन्दुओं के साथ क्या हुआ ?, यह भारतीयों को अभी तक यह ज्ञात नहीं हैै । वास्तव में, भारत के हिन्दुओं ने कश्मीरी हिन्दुओं के लिए कुछ नहीं किया; इसलिए अब तो हिन्दुओं को जागृत होकर कश्मीरी हिन्दुओं को न्याय दिलाना चाहिए ।
बॉलीवुड में प्रतिवर्ष गुंडे, माफिया, ‘ड्रग्स पेडलर’, गंगूबाई जैसे वेश्यागृहों की मालकिन का उदात्तीकरण करनेवाले अनेक ‘ड्र्रामा फिल्म्स’ प्रदर्शित होती हैं । ऐसे चलचित्र देखने की अपेक्षा भारतीय ‘द कश्मीर फाइल्स’ देखना देशहितकारी सिद्ध होगा ।