इस्लामी कार्यकाल में रामनाम का उपयोग

श्रीराम संपूर्ण हिन्दू समाज के इष्टदेवता हैं; इसलिए वीर सावरकर कहते हैं, ‘‘जिस दिन हिन्दू समाज प्रभु श्रीराम को भूल जाएगा, उस दिन हिन्दुस्थान को ‘राम’ कहना पडेगा ।’’ इसका अर्थ यह है कि जिस दिन हिन्दू समाज को प्रभु श्रीराम का विस्मरण होगा, उस दिन इस भूतल पर हिन्दुस्थान का अस्तित्व ‘राष्ट्र’ के रूप में नहीं रह जाएगा ।

जन्मपत्रिका बनाने का महत्त्व समझें !

हिन्दू समाज में शिशु का जन्म होने पर ज्योतिष से शिशु की जन्मपत्रिका बनवाई जाती है । अनेक लोगों को उत्सुकता होगी कि इस पत्रिका में क्या जानकारी होती है । इस लेख द्वारा ‘जन्मपत्रिका क्या है तथा पत्रिका में कौन-सी जानकारी अंतर्भूत होती है’, इसकी जानकारी लेंगे ।

अखिल मानवजाति का अध्यात्म जगत से अभिनव परिचय करानेवाली सनातन संस्था की ध्वनि-चित्रीकरण से संबंधित सेवाओं में सम्मिलित होकर धार्मिक कार्य में अपना योगदान दें !

ध्वनि-चित्रीकरण से संबंधित सेवा करनेवालों की विविध सेवाओं से जगत को अध्यात्म जगत की नवीन पहचान होगी, इसके साथ ही ज्ञान का एक अनोखा आनंद भी अनुभव होगा ।

घर में उपलब्ध सामग्री से सहजता से होनेवाला शाक-तरकारी का रोपण

हाट (बाजार से) लाया गया पालक अथवा पुदीना, कई बार उनमें कुछ जडसहित होते हैं जिसे मिट्टी में खोंसने पर उनसे नए पौधे आते हैं ।

पथरी पर उपयुक्त सनातन पुनर्नवा चूर्ण

‘१ चाय का चम्मच सनातन पुनर्नवा चूर्ण, आधा ग्राम हजरूल यहूद भस्म एवं आधा ग्राम श्वेत पर्पटी यह औषधियां एकत्र कर दिन में २ बार एक कटोरी गुनगुने पानी में मिलाकर भोजन के पूर्व लें । उसके उपरांत तुरंत भोजन करें ।

भारत में गैर मुसलमानों का अस्तित्व सुरक्षित रहे; इसके लिए हिन्दुओं को संप्रदाय तथा अन्य मर्यादाओं को भूलकर एकजुट होना ही पडेगा !

भारत में हिन्दू-मुसलमान दंगे का इतिहास बहुत पुराना है । किसी ने यह संपूर्ण इतिहास लिखना चाहा, तो उसका एक बडा ग्रंथ बन जाएगा । भारत में हिन्दू-मुसलमान में किसी न किसी कारण से बार-बार सांप्रदायिक दंगे होते रहते हैं ।

श्रीराम नवमी

देवताओं एवं अवतारों की जन्मतिथि पर उनका तत्त्व भूतल पर अधिक मात्रा में सक्रिय रहता है । श्रीराम नवमी के दिन रामतत्त्व सदा की तुलना में १ सहस्र गुना सक्रिय रहता है । इसका लाभ लेने हेतु श्रीराम नवमी के दिन ‘श्रीराम जय राम जय जय राम’ नामजप अधिकाधिक करें ।

शिव को प्राप्त करने के लिए गुणातीत होना होगा ! – सद्गुरु डॉ. चारुदत्त पिंगळे, राष्ट्रीय मार्गदर्शक, हिन्दू जनजागृति समिति

‘आज की युवा पीढी देवतापूजन करने को उद्यत नहीं है’, इस संदर्भ में शंकासमाधान करते हुए सद्गुरु डॉ. पिंगळेजी ने कहा कि ‘‘कर्मकांड के आगे उपासनाकांड है । उसके अनुसार मानसपूजा, नामजप आदि के माध्यम से भी ईश्वर के निकट जाया जा सकता है ।’’

चैत्र शुक्ल प्रतिपदा ही हिन्दुओं का नववर्षारंभ है !

३१ दिसंबर को रात १२ बजे आरंभ होनेवाले नववर्ष की तुलना, सूर्यास्त के पश्चात आरंभ होनेवाली तमोगुणी रात्रि से कर सकते हैं । प्राकृतिक नियमों के अनुसार आचरण मनुष्य के लिए पूरक है, जबकि विरुद्ध आचरण हानिकारक । अतः, पश्चिमी संस्कृति अनुसार १ जनवरी को नहीं; चैत्र शु. प्रतिपदा पर ही नववर्षारंभ मनाने में हमारा वास्तविक हित है ।’

देहली में आयोजित ‘विश्व पुस्तक मेले’ में सनातन संस्था की ग्रंथ-प्रदर्शनी

देहली के प्रगति मैदान में २५ फरवरी से ५ मार्च की अवधि में ‘विश्व पुस्तक मेले’ का आयोजन किया गया । इस मेले में सनातन संस्था द्वारा ग्रंथ एवं सात्त्विक उत्पादों की प्रदर्शनी लगाई गई ।