जिस विधि से अंतःचक्षु खुलने में सहायता होती है, वह उपनयन संस्कार है ! – श्री. गुरुराज प्रभु, हिन्दू जनजागृति समिति
हिन्दू जनजागृति समिति के श्री. गुरुराज प्रभु ने बताया कि ‘‘जिस विधि से अंतःचक्षु खुलने में सहायता होती है, वह उपनयन संस्कार है ।
हिन्दू जनजागृति समिति के श्री. गुरुराज प्रभु ने बताया कि ‘‘जिस विधि से अंतःचक्षु खुलने में सहायता होती है, वह उपनयन संस्कार है ।
सनातन संस्था के साधकों के परीक्षा में उत्तीर्ण बेटीयां
भक्त ईश्वरप्राप्ति तो चाहते हैं, किंतु संसार-व्यवहारके सुखोंको छोडने वे सिद्ध नहीं होते । यह भी चाहिये और वह भी चाहिये, ऐसा नहीं चल सकता । क्यों नहीं चल सकता ? क्यों कि संसार-व्यवहार का सुख चाहिये, तबतक मन पूर्णत: ईश्वरमें नहीं लग सकता ।
गुरुपूर्णिमा के उपलक्ष्य में गुरुसेवा एवं धन का त्याग करनेवाले व्यक्ति को गुरुतत्त्व का सहस्र गुना लाभ होता है ।
सच्चिदानंद परब्रह्म डॉक्टरजी की सीख समझने में सरल, जीवन के छोटे-बडे उदाहरणों के माध्यम से अध्यात्म सिखानेवाली एवं कृति के स्तर पर साधना संबंधी मार्गदर्शन करती है ।
छात्रों को पुरस्कार के रूप में सनातन द्वारा प्रकाशित ‘बालसंस्कार’ ग्रंथमाला के, साथ ही अन्य ग्रंथ देने से उनके मन पर सुसंस्कारों का महत्त्व अंकित होने में सहायता मिलेगी ।
अमेरिका एवं ब्रिटेन के एक नए भूराजनीतिक पारी का उदय हुआ तथा वह था ‘भारत का विभाजन’ ! शीघ्रता में डिकी माउंटबेटन को भारत का ‘वाइसराय’ बनाया गया । उसे एक धारिका दी गई, जिस पर लिखा था ‘ऑपरेशन मैड हाउस’ !
गत अनेक वर्षों से भारत में ‘हलाल प्रमाणित’ उत्पादन आयात किए जा रहे हैं । मुसलमानों के अतिरिक्त अन्य धर्म के लोगों को हलाल प्रमाणपत्र प्राप्त करना आवश्यक न होते हुए भी प्रत्येक उत्पाद के लिए ४७ सहस्र रुपए देने पडेंगे ।
समारोह में धातु पर उकेरा गया उत्तराधिकार पत्र सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. आठवलेजी ने श्रीसत्शक्ति (श्रीमती) बिंदा सिंगबाळजी एवं श्रीचित्शक्ति (श्रीमती) अंजली गाडगीळजी को प्रदान किया । सनातन की गुरुपरंपरा के ये अनमोल क्षण साधकों ने भावपूर्ण स्थिति में अनुभव किए । श्री. विनायक शानभाग ने उत्तराधिकार पत्र का वाचन किया ।
किसी व्यक्ति की कुदृष्टि उतारने से उसे कौनसे लाभ होते हैं ?