ईसाई विद्यालयों में हिन्दू विद्यार्थियों पर किए जा रहे संस्कारों के संबंध में जागरूकता होनी चाहिए !

कानपुर में कक्षा १० वीं में पढनेवाले विद्यार्थी के अभिभावक ने एक अध्यापिका पर आरोप लगाया है कि उसने विद्यार्थी से यौन संबंध के लिए सहायता मांगी तथा उसके धर्मांतरण के लिए प्रयत्न किया । इस प्रकरण में उत्तर प्रदेश उच्च न्यायालय में हाल ही में सुनवाई हुई है । उससे संबंधित विश्लेषण इस लेख में देखते हैं ।

भारत के विकास को नई दिशा प्रदान करनेवाले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी !

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पुनः एक बार भारत के प्रधानमंत्री पद पर विराजमान हुए । ३ बार मुख्यमंत्री पद पानेवाले तथा उसके उपरांत ३ बार प्रधानमंत्री बननेवाले नरेंद्र मोदी भारत के एकमात्र राजनेता हैं ।

वाराणसी के सुविख्यात श्री. गणेश्वर शास्त्री द्रविडजी द्वारा सनातन के आश्रम को सदिच्छा भेंट !

वाराणसी (उत्तर प्रदेश) के सुविख्यात श्री. गणेश्वर शास्त्री द्रविडजी ने ६ जून २०२४ को रामनाथी, गोवा के सनातन आश्रम को सदिच्छा भेंट दी ।

तमिलनाडु के हिन्दू मक्कल कच्छी के अध्यक्ष श्री. अर्जुन संपत ने वाराणसी स्थित सनातन के आश्रम को दी सदिच्छा भेंट !

‘सनातन संस्था के संस्थापक सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. आठवलेजी के जन्मोत्सव की अवधि के शुभ मुहूर्त पर श्री. अर्जुन संपथ आश्रम में आए थे’, ऐसा सद्गुरु नीलेश सिंगबाळजी ने आश्रम में आए श्रीराम मंदिर में श्री. संपथ को कहा ।

‘वैश्विक हिन्दू राष्ट्र महोत्सव’ हेतु धनस्वरूप में अर्पण देकर हिन्दू राष्ट्र के कार्य में सम्मिलित हों !

इस वर्ष २४ से ३० जून २०२४ की समयावधि में रामनाथी, गोवा में ‘वैश्विक हिन्दू राष्ट्र महोत्सव’ (बारहवां अखिल भारतीय हिन्दू राष्ट्र अधिवेशन’) का आयोजन किया गया है । गोवा में हो रहे महोत्सव में हिन्दू राष्ट्र की स्थापना के लिए कार्यरत हिन्दुत्वनिष्ठ संगठनों के पदाधिकारी, अधिवक्ता, उद्योगपति, लेखक आदि सहभागी होंगे ।

सनातन संस्था के संत पू. भगवंत कुमार मेनरायजी (आयु ८५ वर्ष) ने किया देहत्याग !

मूल फरीदाबाद (हरियाणा) निवासी एवं वर्तमान में रामनाथी स्थित सनातन संस्था के आश्रम में रह रहे सनातन के ४६ वें संत पू. भगवंत कुमार मेनरायजी ने ४ जून २०२४ को सायंकाल ७.१५ बजे देहत्याग किया ।

प्राचीन भारतीय मंदिरों की अलौकिक धरोहर !

सौर किरणें मूर्ति पर पडें; इसके लिए मंदिर सदैव पूर्व-पश्चिम दिशा में होते हैं; क्योंकि सूर्यप्रकाश में अधिक मात्रा में पवित्रक होते हैं ।

दक्षिण ध्रुव तक बिना किसी बाधा के मार्ग दिखानेवाला सोमनाथ मंदिर !

चुंबकीय प्रभाव के कारण यहां का शिवलिंग हवा में डोलता था । वास्तुकला का यह एक अद्भुत उदाहरण तथा वहां सोना-चांदी का प्रचुर भंडार था ।

कालगणना का निर्माणस्थल, समय का केंद्रबिंदु एवं सृष्टि का प्रथम स्थल उज्जैन का महाकाल मंदिर !

एक ‘त्रुटि’ अर्थात सेकेंड का ३३ सहस्र ७५० वां भाग, यहां से लेकर १ दिन तक की कालगणना, सप्ताह के सात वार, युगों से समय का सबसे बडा भाग, अर्थात ४३२ करोड वर्ष अर्थात एक कल्प तक आदि सबकुछ भास्कराचार्यजी ने विश्व को इस स्थान से प्रदान किया !

महर्षियों द्वारा वर्णित सर्वाधिक सूक्ष्म से कार्य कर धर्मसंस्थापना करनेवाले श्रीविष्णु के कलियुग के अनोखा ‘श्रीजयंतावतार’ !

ऋषियों ने जीवनाडी-पट्टिका के माध्यम से गुरुदेवजी के सूक्ष्म कार्य का परिचय दिया है । तब भी इतना ही कहा जा सकता है कि ‘ज्ञात-अज्ञात स्रोतों से अब तक हुई गुरुदेवजी की पहचान अपूर्ण ही है ।